झारखंड विधानसभा को अपना नेता प्रतिपक्ष मिल गया है. बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल के नेता की जिम्मेदारी दी है. गुरुवार को पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में उनको विधायक दल का नेता चुना गया. इस तरह मरांडी झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे. बाबूलाल मरांडी वरिष्ठ नेता हैं. नेता प्रतिपक्ष की रेस में उनका नाम सबसे आगे था. इस कवायद के बीच झारखंड सरकार में मंत्री राधा कृष्ण ने भी उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने की सलाह दी थी. वित्त मंत्री राधा कृष्ण ने कहा था कि वैसे तो ये बीजेपी का अंदरूनी मामला है कि वो किसी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देती है लेकिन हमारा मानना है कि मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाएं.
बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के संस्थापक हैं. 2020 में उन्होंने बीजेपी में अपनी पार्टी का विलय किया था. मरांडी 12वीं, 13वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा में सांसद भी रहे हैं. 1998 से 2000 में एनडीए सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री भी रहे हैं. साल 2003 में भारतीय जनता पार्टी ने बाबूलाल मरांडी को हटाकर अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी लेकिन 2005 के नतीजों ने बीजेपी को झटका दिया था.
जब बीजेपी के खिलाफ खोला था मोर्चा
मुंडा को कुर्सी सौंपे जाने से नाराज मरांडी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. 2006 में विधायकी और बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया था. इसके बाद मरांडी ने खुद की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. हालांकि, उनकी पार्टी को खास सफलता नहीं मिली. इसके बाद 2020 में अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में किया था.
जब मरांडी ने शिबू शोरेन को हराया
इससे पहले 1991 में मरांडी बीजेपी के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए थे. 1996 में फिर हारे. इसके बाद 1998 में बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड का अध्यक्ष बनाया. उनके नेतृत्व में पार्टी ने राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर कब्जा किया था.1998 के चुनाव में मरांडी ने शिबू शोरेन को संथाल से चुनाव हराया था.