धार जिले के ग्राम मगजपुरा में स्थित भूमि सर्वे क्रमांक-29 के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय के स्टे ऑर्डर के बावजूद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक धार आदित्य प्रताप सिंह और तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक महिला अपराध यशस्वी शिंदे ने अजनबी अपराधी की शिकायत पर 28/11/2021 को एफआईआर दर्ज की थी। चुन-चुन कर कुछ क्रेता-विक्रेता और गवाहों को मुजरिम बनाया गया था। मामले में कई संभ्रांत वरिष्ठ महिला नागरिक और व्यवसायी को गिरफ्तार किया गया था।
बता दें कि शिकायत के विवरण में वर्णित निजी संपत्ति को तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने शासकीय माना था। 70 साल की महिला सरिता जैन के पक्ष में स्टे होने के बावजूद एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की गई थी। माननीय उच्च न्यायालय ने कई सिविल कोर्ट के निर्णय, बिल्डिंग परमिशन, नजूल अनापत्ति और डायवर्सन आदेश आदि भूमिस्वामी के पक्ष में होने के बावजूद की गई अधिकारातीत विधि विरुद्ध कार्यवाही की आपराधिक प्रकरण बनाकर भूमि के स्वत्व की जांच पुलिस नहीं कर सकती।
माननीय उच्च न्यायालय ने एफआईआर व अन्य सभी दंडात्मक कार्यवाही को शून्य माना है। निर्माण संबंधी खरीदी बिक्री पर रोक के कलेक्टर द्वारा पारित आदेश को अवैधानिक घोषित कर दिया है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक व उप पुलिस अधीक्षक के कृत्य को निंदनीय ठहराया। सरिता जैन और आयुषी जैन को हुई हानि पर दोषी अधिकारियों पर 50,000 रुपये कॉस्ट अधिरोपित किया गया। दोषी अधिकारियों पर कंटेम्प्ट की प्रथक कार्यवाही अभी न्यायालय में प्रचलित है। अवगत हो कि हाल ही में माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने रीट याचिका क्रमांक 23674/2023 में किसी अन्य प्रकरण में ठहराया था कि भूमि शासकीय भूमि नहीं है, जिसकी अपील भी शासन की खारिज हुई थी।