विशेष सत्र न्यायालय ने आरक्षक भर्ती घोटाले के आरोपितों प्रशांत चौधरी व सतीश सिंह को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। दोनों पर 3600-3600 रुपये जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने सजा काटने के लिए जेल भेज दिया।
व्यापमं ने वर्ष 2013 में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में उत्तर प्रदेश के मथुरा निवासी सतीश ने भी फार्म भरा था। उसका सेंटर नई सड़क स्थित महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय स्कूल में पड़ा था। वह खुद पेपर देने नहीं आया, उसकी जगह बुलंद शहर उत्तर प्रदेश निवासी प्रशांत चौधरी ने पेपर दिया। सतीश सिंह का आरक्षक के पद पर चयन हो गया। उसे इंदौर में नौकरी ज्वाइन करना थी, उसके पहले पुलिस विभाग के पास शिकायत पहुंची।
उप पुलिस महानिरीक्षक ने ग्वालियर एसपी को जांच के आदेश दिए। ओएमआर शीट की जांच कराई तो उस पर सतीश का अंगूठे के निशान नहीं थे। जनकगंज थाना पुलिस ने सतीश के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके बाद केस सीबीआइ के पास पहुंच गया। सीबीआइ ने सतीश सिंह को मथुरा में तलाश लिया। उससे पूछताछ की। उसने अपने साल्वर का नाम बताया। उसकी जगह प्रशांत चौधरी परीक्षा देने आया था।
पुलिस ने बुंदल शहर से प्रशांत चौधरी को बुलाया और अंगूठे व हैंड राइटिंग के नमूने लिए, जिसकी जांच कराई तो प्रशांत चौधरी से मैच कर गए। सीबीआइ ने अतिरिक्त चालान पेश किया। कोर्ट ने दोनों आरोपितों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। सीबीआइ की तरफ से पैरवी विशेष लोक अभियोजक चंद्रपाल सिंह ने की।