सनातन धर्म के दो प्रमुख संतों—बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती—के बीच उभरे ताज़ा विवाद ने धार्मिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है। विवाद की शुरुआत धीरेंद्र शास्त्री के उस बयान से हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि शंकराचार्य उन्हें हर दो दिन में गाली देते हैं। इस टिप्पणी पर गोटेगांव स्थित परमहंसी गंगा आश्रम ने आपत्ति दर्ज करते हुए शास्त्री से प्रमाण की मांग की है।
शास्त्री का बयान बना विवाद की वजह
धीरेंद्र शास्त्री ने हाल में दिए एक वक्तव्य में कहा था कि शंकराचार्य की गालियां भी उनके लिए आशीर्वाद समान हैं। इस कथन पर परमहंसी गंगा आश्रम के शास्त्री सोहन तिवारी ने कड़ा विरोध जताया। तिवारी ने इसे शास्त्र और सनातन परंपरा के विरुद्ध बताते हुए शास्त्री से सबूत पेश करने को कहा और इस मुद्दे पर खुली बहस का न्योता दिया।
शंकराचार्य का पद सर्वोच्च, अपमान अस्वीकार्य
सोहन तिवारी ने अपने संदेश में कहा कि शंकराचार्य जैसे पद पर आसीन संत कभी किसी को अपमानजनक शब्द नहीं कहते। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी गुरु की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए दूसरे गुरु का अपमान करना अक्षम्य है। तिवारी ने धर्मानुयायियों से अपील की कि वे सनातन परंपरा की मर्यादा की रक्षा के लिए एकजुट हों।
अनुयायियों में बंटवारा और बढ़ी चर्चा
यह विवाद अब अनुयायियों को दो हिस्सों में बांट चुका है। कुछ लोग धीरेंद्र शास्त्री की टिप्पणी को उनकी व्यक्तिगत राय मान रहे हैं, वहीं अन्य इसे परंपरा और शंकराचार्य के सम्मान पर चोट बता रहे हैं। सोशल मीडिया और धार्मिक मंचों पर यह विषय लगातार चर्चा में बना हुआ है।
आगे क्या?
अब सबकी निगाहें धीरेंद्र शास्त्री पर टिकी हैं—क्या वे परमहंसी गंगा आश्रम में संवाद के लिए जाएंगे या अपने बयान पर सफाई देंगे। फिलहाल, यह विवाद सनातन धर्म के भीतर बहस का बड़ा मुद्दा बना हुआ है।