फर्श से अर्श तक पहुंचे एकनाथ शिंदे की जिंदगी का सफर कठिनाई भरा रहा

महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे शिवसेना के 15, एक एनसीपी और 14 निर्दलीय विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में हैं। इस टोली में शिंदे के अलावा 3 मंत्री और हैं। शिंदे के इस कदम ने शिवसेना के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी सत्तारूढ़ गठबंधन के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। अंतराष्ट्रीय योग दिवस के दिन एकनाथ शिंदे का नाम पूरे दिन सुर्खियों में छाया रहा। ऐसे में आपको बताते हैं कि एकनाथ शिंदे कौन हैं? जिन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में खेल को बदल दिया। 

शिंदे परिवार मूल रूप से सतारा जिले का है और 70 के दशक में ठाणे आ गया था।  80 के दशक में शिवसेना के साथ अपना जुड़ाव शुरू करने से पहले, एक ऑटोरिक्शा चालक के रूप में और फिर मत्स्य पालन जैसी अजीबोगरीब नौकरियों से उनके करियर की शुरुआत हुई। शिंदे जल्द ही तत्कालीन ठाणे जिला सेना अध्यक्ष आनंद दीघे के करीब आ गए। शिवसेना पार्टी में बाला साहेब ठाकरे के बाद आनंद दिघे सबसे बड़े कद्दावर और दबंग नेता माने जाते थे। एकनाथ शिंदे, आनंद दिघे के शागिर्द माने जाते हैं। दिघे का स्‍थानीय इकाई पर भरपूर नियंत्रण था। उन्‍होंने इलाके में शिवसेना का परचम बुलंद कर दिया था। शिंदे ने दिघे को अपना रोलमॉडल बना लिया। पहनावे और बोलचाल में भी वह उनकी तरह दिखने की कोशिश करने लगे। दिघे ने शिंदे को उनकी वफादारी का ईनाम भी दिया। शिंदे को 1997 में ठाणे म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की सीट जिताने में दिघे ने पूरी मदद की। कहा जाता है कि दीघे ने शिंदे को ठाणे नगर निगम में सदन का नेता बना दिया था। अगस्त 2001 में दीघे की मृत्यु के बाद, शिंदे ने शिवसेना की ठाणे इकाई में छोड़े गए शून्य को भर दिया।

चार बार ठाणे से लगातार विधायक

एक जन नेता शिंदे ने राज्य में विशेष रूप से ठाणे क्षेत्र में सेना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह शिवसेना के प्रमुख राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं। उनके पुत्र श्रीकांत शिंदे, कल्याण से शिवसेना के सांसद हैं। एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र विधानसभा में  2004, 2009, 2014 और 2019 लगातार चार बार निर्वाचित हुए हैं। 2014 में शिवसेना और भाजपा के एक-दूसरे से अलग होने के बाद उन्हें विपक्ष का नेता बनाया गया था। जब महा विकास अघाड़ी सरकार बनी, तो शिंदे शहरी विकास और लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम) के कैबिनेट मंत्री बने। वह वर्तमान में शहरी मामलों के मंत्री हैं। वह हाल ही में महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या की यात्रा पर गए थे। वहीं शिवसेना ने एमवीए सरकार को गिराने की कोशिश करने के लिए भाजपा को दोषी ठहराया है। 

शिंदे क्यों नाराज हैं?

ऐसी खबरें आई हैं कि शिंदे कथित रूप से दरकिनार किए जाने के लिए शिवसेना नेतृत्व से नाराज हैं। शिंदे शिवसेना के उन नेताओं में शामिल हैं जो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के खिलाफ थे। इस खेमे का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाकर शिवसेना को काफी नुकसान पहुंचाया है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाअघाड़ी सरकार बनने के बाद से शिवसेना में संजय राउत, अनिल देसाई और आदित्य ठाकरे की ताकत काफी बढ़ गई। वहीं एकनाथ शिंदे खुद को दरकिनार महसूस कर रहे थे।

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