टोक्यो ओलिंपिक में पूर्व वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारतीय हॉकी महिला टीम की जीत का सेहरा गोलकीपर सविता पूनिया के सिर भी बंधता है। इस दमदार खिलाड़ी ने अपनी लंबी हाइट और फुर्ती की बदौलत 8 पेनल्टी कॉर्नर बचाकर ऑस्ट्रेलिया की टीम के इरादे पस्त कर दिए। तभी तो सविता पूनिया को ‘द ग्रेट वॉल’ कहा जा रहा है, जो ऑस्ट्रेलिया की टीम के आगे ऐसे डटी कि जीतकर दम लिया।
दादा की मेहनत और सोच ने ओलिंपिक में पहुंचाया
सविता पूनिया ऐसे प्रदेश से आती हैं, जहां बेटियों से घर की चारदीवारी में और सीमित परिवेश में रहने की उम्मीद की जाती है। लेकिन सविता के साथ ऐसा कुछ नहीं था, बल्कि उनके दादा स्वर्गीय रणजीत सिंह ने उन्हें पूरा सहयोग दिया। एक छोटे से गांव से निकलकर ओलिंपिक तक पहुंचीं सविता पूनिया अपने स्वर्गीय दादा की मेहनत और सोच का ही परिणाम हैं।
सविता पूनिया हरियाणा के सिरसा जिले के गांव जोधकां की रहने वाली हैं। उनके पिता (डिंग PHC में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात) महेंद्र सिंह पूनिया का कहना है, “सविता ने मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया, लेकिन उसकी जीत उसके स्वर्गीय दादाजी रणजीत सिंह को समर्पित है। क्योंकि उनकी ये दिली इच्छा थी कि पोतियां खेलों में भाग लेकर नाम चमकाएं।”
“सविता की जीत का जश्न मनाने के लिए वे हमारे बीच नहीं है, लेकिन सविता के साथ उनका आशीर्वाद बना रहा और बना रहेगा। सविता को सबसे ज्यादा उन्होंने ही खेलने के प्रेरित किया। गांव में किसी तरह की कोई खेल सुविधा नहीं होने के कारण वह खुद 11 साल की सविता को सिरसा की अग्रसेन नर्सरी में दाखिला करवाने के लिए लेकर गए थे।”
अपने दादाजी का पूर्ण सहयोग व समर्थन मिलने के कारण ही सविता इतना आगे बढ़ पाई हैं। सविता के दादा ने अपनी तीनों पोतियों का जूडो और हॉकी में दाखिला करवाया था। सविता के पिता ने बताया कि आज उनकी अपनी बेटी से फोन पर थोड़ी देर बात हुई थी तो उसने बताया कि उनकी टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया है और सबकी मेहनत की बदौलत ही वह इतनी बड़ी टीम को हरा पाई हैं।
लंबी हाइट व फुर्ती के कारण चुनी गई थीं गोलकीपर
हिसार साई सेंटर में सविता पूनिया के कोच रहे आजाद सिंह मलिक ने बताया कि लंबी हाइट व फुर्ती के कारण ही सविता को गोलकीपर चुना गया था। जब सविता 9वीं क्लास में थीं, तब हिसार कोचिंग के लिए आई थीं। यहां पर एक प्रैक्टिस मैच में सविता को गोलकीपर बनाया था। जब उन्होंने उस मैच में सविता का रिएक्शन टाइम देखा तो उनको लगा कि सविता को गोलकीपर के तौर पर ही तराशा जाना चाहिए। उस मैच से लेकर अब तक सविता लगातार अपने खेल में सुधार करती रही हैं। मलिक ने बताया कि हॉकी के खेल में बाकी पूरी टीम की मेहनत और गोलकीपर की अकेले की मेहनत बराबर आंकी जाती है। अगर गोलकीपर कमजोर हो तो जीता हुआ मैच भी हार जाते हैं। आज सविता ने जो खेल दिखाया है वो बेहतरीन था। अगर उससे एक-दो बार भी चूक हो जाती तो उसका खामियाजा पूरी टीम को भुगतना पड़ता।