विधानसभा चुनाव में हार मिलने के बाद अब निगम में अपनी सत्ता बचाने के लिए चुनाव से पहले नगर निगम विकास के नाम पर 100 करोड़ रुपये लोन लेने जा रहा है। इसके लिए निगम ने अपने जोन-बी दफ्तर की करीब 100 एकड़ जमीन को गिरवी रखकर बैंक से 100 करोड़ रुपए का लोन अप्लाई कर दिया है, जो इसी माह मिल जाएगा। जमीन को गिरवी रखने से पूर्व उसकी रजिस्टरी करने के लिए रेवेन्यू विभाग ने 4 करोड़ रुपए स्टॉप फीस मांगी थी, मगर जमीन के सरकारी होने का हवाला देते हुए निगम को इस फीस से राहत भी दे दी गई।
टैक्स की रिकवरी न होने से पहले से आर्थिक मंदहाली से गुजर रहे निगम के लिए ये कर्ज आने वाले दिनों में गले की फांस साबित होगा। क्योंकि निगम अपने करीब 815 करोड़ के बजट में से 600 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि तो कर्मचारियों के वेतन व रखरखाव में खर्च कर देता है। इस सब को निकालने के बाद निगम के पास मात्र 20 फीसदी बजट ही बचता है जो शहर के विकास के लिए नाकाफी है। ऐसे में अब नए लोन लेने से सालाना करीब 50 करोड़ रुपये तो इसे चुकाने में ही चले जाएंगे, जिससे निगम की आर्थिक हालात आने वाले समय में और पतली होने के पूरे आसार हैं। चुनाव से पहले मतदाताओं को रिझाने का मामला है तो इस तरफ किसी का ध्यान नहीं।
कर्ज चुकाने व डेवलपमेंट के लिए निगम हर साल ले रहा लोन
निगम ने पहले ही करीब 4 लोन ले रखे हैं, जिसे चुकाने के लिए मासिक 5 करोड़ रुपये अदा करने पड़ते हैं। ऐसे में सालाना करीब 60 करोड़ रुपये मौजूदा समय में कर्ज चुकाने में जा रहे हैं। इसमें से एक लाेन 2023 में खत्म होगा जबकि दूसरा 2027 तक चलेगा। अभी कुल मिलाकर सवा सौ करोड़ रुपये का कर्ज निगम के सिर पर पहले से है। ऐसे में 100 करोड़ रुपये कर्ज निगम और लेगा तो आने वाले समय में निगम को इस कर्ज को चुकाने में मासिक 4 करोड़ रुपये के हिसाब से सालाना 48 करोड़ चुकाने होंगे। इससे अभी जो निगम कर्ज के सालाना 60 करोड़ चुका रहा है, आने वाले समय में ये राशि बढ़कर 75 करोड़ रुपये सालाना पार कर जाएगी। यही नहीं कर्ज चुकाने व डेवलपमेंट का काम चलाने को निगम या तो हर साल लोन ले रहा है या फिर सालाना अपने बजट में 20 करोड़ रुपये की संपत्ति बेचने का प्रस्ताव रख रहा है।
हर बार चुनाव से पहले वोटरों को रिझाने में कर्ज में डूबा निगम
निगम के आय व खर्च के बीच ज्यादा अंतर न होने से हर बार चुनाव से पूर्व वोट बैंक का रिझाने के लिए विकास के लिए कर्ज लेने की प्रवृति से निगम नाक तक कर्ज में डूब चुका है। साल 2012 में चुनाव से पहले 2011 में भी लोन लिया गया था, ताकि विकास के नाम पर लोगों को लुभाया जा सके। इसी तरह 2017 के चुनाव से पहले 2016 में भी कर्ज लिया गया, जबकि चुनाव को एक साल बाकी था। इसी तरह अब नगर निगम के चुनाव से ठीक एक साल पहले फिर से 100 करोड़ का कर्ज लिया गया है, ताकि वोटरों को विकास के नाम पर खुश किया जा सके।
- वोट बैंक के लिए निगम ने वाॅटर सप्लाई व सीवरेज के बिलों की वसूली नहीं की, जिससे ये राशि करीब 350 करोड़ हो गई, अगर इसकी वसूली कर ली जाए तो लोन लेने की जरूरत न पड़े।
- चारों जोन के अंतर्गत अवैध काॅलोनी को रेगुलाइज करने के लिए जमा करवाई फाइलों का केवल 10 से 25 फीसदी ही रेवेन्यू जमा हुआ है। इसे क्लियर कर पूरी वसूली कर ली जाए तो निगम को सौ करोड़ से ज्यादा इसी से आय हो सकती है।
- अवैध इमारतों का सर्वे कर उन्हें रेगुलाइजेशन पॉलिसी में लाकर रेवेन्यू जेनरेट किया जा सकता है, इससे निगम को आर्थिक मदद मिलेगी।
- 1.50 लाख प्राॅपर्टी टैक्स के डिफाॅल्टर हैं, इनसे टैक्स रिकवरी पर किसी की जिम्मेवारी ही फिक्स नहीं की गई, जिससे निगम की आर्थिक हालत खराब हो रही है।
- 40 करोड़ एक्साइज ड्यूटी का निगम को सरकार से आता है, मगर यह नियमित नहीं है, इसे रेगुलर कर लिया जाए तो निगम को लोन लेने की जरूरत न पड़े।
- अवैध काॅलोनियों ने कथित तौर पर बिना कनेक्टिविटी चार्ज के निगम के सीवरेज से कनेक्शन जोड़ रखा है। इनकी कनेक्टिविटी चार्ज वसूल रेगुलर किया जाए तो करोड़ों की आय जेनरेट हो सकती है।
विकास पर ही खर्च होगा लोन- मेयर
हमने शहर की डेवलपमेंट के लिए लोन लिया है और ये लोन का पैसा शहर के विकास पर ही खर्च होगा। हर पार्टी के पार्षद को पैसा डेवलपमेंट के लिए बांटा जाएगा। जिन शाखाओं की कमियों के कारण टैक्स रिकवरी का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। उन्हें नोटिस जारी किए जाएंगे और रिकवरी हर हाल में करवाएंगे।