राज्य में पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड के अनुसार यह बात सामने आई है कि अप्रैल के महीने से मौसम शुष्क हो जाता है और मई के अंत तक शुष्क होने के कारण हवा में नमी की मात्रा कम रहती है। इस वजह से अक्सर यह देखा गया है कि सावन की मुख्य फसल धान के लिए पिछली फसल में भूजल का ज्यादा इस्तेमाल होता है और ज्यादा पानी लगाने की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस बार मौसम ने किसानों को बड़ी राहत दी है। बात करें तो अप्रैल के महीने में लगातार मई के पहले सप्ताह तक बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है, जिनमें सब्जियां भी शामिल हैं। हालांकि पानी ज्यादा देर तक खेतों में नहीं रहने के कारण ज्यादा नुकसान होने से बचा गया।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, हाल ही में हुई बारिश से प्री-मानसून सीजन में धान की फसल को काफी फायदा हुआ है। हवा में नमी होने से इस बार धान का उत्पादन भी अच्छा रहने की उम्मीद है। चूंकि इस समय वर्षा के कारण हवा में नमी की मात्रा अधिक होती है, ऐसे में जिन खेतों में धान की बुवाई हो चुकी है, वहां शुष्क मौसम में तेज धूप के कारण नमी की कमी से नुकसान का खतरा नहीं रहेगा। जबकि मौसम विभाग ने भी बारिश सामान्य रहने के संकेत दिए हैं। तापमान में 5 से 15 डिग्री की गिरावट के बाद कई इलाकों में फसल पिछले साल की तुलना में आधी भी नहीं हुई है। 13 मई से एक बार फिर मौसम के करवट बदलने के आसार हैं। पंजाब में हालांकि मई में पश्चिमी विक्षोभ बनने से हवा में नमी कम होने की संभावना बहुत कम है, जबकि बारिश की संभावना अधिक है।