पंजाब में संभावित तीसरी लहर में 42 प्रतिशत बच्चे खतरे की जद में हैं। जुलाई में कराए गए सीरो सर्वे की प्राथमिक जांच में 58 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई हैं। तीसरी लहर की तैयारी को लेकर पंजाब सरकार ने 6 से 17 साल के आयु वर्ग पर सीरो सर्वे कराया था। हालांकि सर्वे की अभी अंतिम रिपोर्ट बनाई जानी है। जल्द ही स्वास्थ्य विभाग उसके परिणाम सार्वजनिक करेगा।
कोरोना की तीसरी लहर में सबसे अधिक बच्चों पर ही खतरा बताया जा रहा है। ऐसी संभावनाओं को देखते हुए पंजाब ने जुलाई में 6 से 17 आयु वर्ग के बच्चों का पहली बार सीरो सर्वे कराया था। हालांकि सीरो सर्वे का काम जुलाई के अंत तक पूरा होना था लेकिन चिकित्सकों की हड़ताल के कारण नमूने लेने के काम में स्वास्थ्य विभाग को परेशानी हुई थी।
अभी विभाग ने कुछ जिलों से 1500 से अधिक बच्चों के नमूने लिए थे, जिनकी जांच में 58 प्रतिशत नमूनों में एंटीबॉडी मिली हैं, जबकि 42 प्रतिशत बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी नहीं बन पाई है। ऐसे में इन बच्चों को कोरोना की संभावित तीसरी लहर में सबसे अधिक खतरा स्वास्थ्य विशेषज्ञ बता रहे हैं। सर्वे के दौरान अधिकांश नमूने शहरी क्षेत्र से एकत्र किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बच्चों को खतरे से बचाने के लिए माता-पिता की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है।
क्यों जरूरी है एंटीबॉडी
शरीर में एंटीबॉडी का विकसित होना कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में बेहद अहम है। यह या तो वैक्सीनेशन से हो सकता है या किसी व्यक्ति के वायरस से संक्रमित होने के बाद बनती है। एंटीबॉडी संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। यह शरीर को दोबारा संक्रमित होने से भी बचाती है। शरीर पर वायरस, बैक्टीरिया या कोई बाहरी सूक्ष्म जीव हमला करता है, तो हमारा इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) उससे लड़ने के लिए अपने आप एक्टिव होता है। एंटीबॉडी प्रोटीन होते हैं, जो शरीर में संक्रमण होने या वैक्सीन लगने के तुरंत बाद इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए जाते हैं।