अजमेर: दरगाह में शिव मंदिर होने के मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई आज

राजस्थान के अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर शुक्रवार को अदालत में सुनवाई होनी है। वाद दायर करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बताया कि इस मामले में कुछ अन्य याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर आज सुनवाई होगी।

विष्णु गुप्ता ने कहा कि आज न्यायालय में प्रतिवादी बनने के लिए लगाए गए प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई होनी है और हम न्यायालय से यही मांग करेंगे कि इन प्रार्थना पत्रों को खारिज किया जाए। कुछ एप्लीकेशन ऐसे भी दाखिल किए गए हैं, जिसमें हमारी याचिका पर सवाल उठाया गया है। मैं साफ बता दूं कि दरगाह वर्शिप एक्ट में नहीं आती है। वर्शिप एक्ट में साफ बताया गया है कि पूजा अधिनियम कानून वह है, जिसमें मंदिर-मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा शामिल हैं। इसमें कहीं भी दरगाह या कब्रिस्तान का जिक्र नहीं है।

उन्होंने कहा कि चिश्ती परिवार के पास भी कोई ऐसे साक्ष्य मौजूद नहीं है, जो यह बता सकें कि वह ख्वाजा साहब के वंशज हैं। इतना ही नहीं, उनके पास ऐसे भी कोई सबूत नहीं हैं कि ख्वाजा साहब ने शादी की हो, जबकि वह एक सूफी संत थे। जब उन्होंने शादी ही नहीं की तो उनके वंशज कहां से आ गए। मुझे लगता है कि सभी एप्लीकेशन खारिज होंगे और हम इसका अनुरोध अदालत से भी करेंगे।

विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि उन्हें लगातार धमकी मिल रही है। कोई बम से उड़ाने की धमकी दे रहा है तो कोई जान से मारने की। उन पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसलिए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि सुनवाई के दौरान सिर्फ चुनिंदा लोगों को एंट्री दी जाए, ताकि सुरक्षा व्यवस्था और कानून-व्यवस्था बनी रहे।

वहीं दूसरी ओर ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स में राजनेताओं द्वारा चादर भेजने पर विष्णु गुप्ता ने कहा, हमने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी चादर नहीं भेजने के लिए पत्र लिखा था और इस मामले में भी न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जो अभी लंबित है। हम न्यायालय से मांग करेंगे कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा दरगाह चादर भेजना बंद किया जाए। साल 1947 से जो परंपरा शुरू हुई है, उसे बंद होना चाहिए। 

यह है मामला
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सिविल कोर्ट में 23 सितंबर को अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका लगाई थी। 27 नवंबर को कोर्ट ने इस याचिका को सुनने योग्य माना और अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस भेजा था। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख दी थी। इसके बाद अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान, गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए इमरान बैंगलोर और राज जैन होशियारपुर पंजाब ने अपने आप को पक्षकार बनाने की अर्जी लगाई थी।

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