पूर्व लोकसभा सांसद और भाजपा नेता स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने सीकर में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं द्वारा राज्य सरकार पर लगाए गए आरोपों का करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन कर उस समिति द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर ही जिले समाप्त करने का निर्णय लिया है।
सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजनैतिक लाभ लेने के लिए आनन-फानन में नए जिलों की घोषणा की। उन्होंने इस संदर्भ में रामलुभाया समिति की रिपोर्ट का ठीक प्रकार से अध्ययन तक नहीं किया। पूर्व सांसद ने कहा कि आज शेखावाटी की चिंता करने वाले कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता तब कहां गए थे, जब यमुना जल बंटवारे का मुद्दा वर्षों से लंबित चल रहा था और यहां की जनता प्यासी मर रही थी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के विजन तथा भारतीय जनता पार्टी ने ही पहल करते हुए यमुना जल समझौता और कुंभाराम लिफ्ट कैनाल जैसे प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए कार्य किया।
उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शेखावाटी से ही इस उच्च संवैधानिक पद पर पहुंचे हैं। राज्यसभा में जब उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया तब शेखावाटी की आन-बान-शान की बात करने वाले कांग्रेस और कम्युनिस्ट नेताओं को शेखावाटी का अपमान नजर नहीं आया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में देशभर में ब्रॉडगेज रेलवे लाइन का नेटवर्क बिछने के बाद भी शेखावाटी क्षेत्र इससे वंचित रहा, जबकि भाजपा के शासन में यह कार्य पूर्ण हुआ। उन्होंने कहा कि शेखावाटी के मान-सम्मान के प्रति भाजपा पूरी तरह संवेदनशील है। मुख्यमंत्री ने मुझे भरोसा दिलाया है कि शेखावाटी और नीमकाथाना क्षेत्र के विकास में कहीं कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। इसलिए कांग्रेस और कम्युनिस्ट नेताओं को जनता को भ्रमित करने और बरगलाने के प्रयास छोड़ देने चाहिए।