लोकसभा प्रश्नकाल, चित्तौड़ दुर्ग पर मीराबाई स्मारक को लेकर जोशी ने पूछा सवाल

चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान मीराबाई के स्मारक और चित्तौड़ दुर्ग पर पूर्वी दिशा में वैकल्पिक प्रवेश द्वार की मांग को लेकर सवाल उठाए। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जवाब देते हुए बताया कि मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव के अवसर पर चित्तौड़गढ़ में 21-23 दिसंबर को विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। वहीं, दुर्ग पर वैकल्पिक मार्ग के लिए राज्य सरकार को डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया गया है। डीपीआर के आधार पर पुरातात्विक सर्वेक्षण नियमों के तहत निर्णय लेगा।

लोकसभा में सांसद जोशी ने प्रश्न करते हुए कहा कि चित्तौड़ दुर्ग विश्व में अपनी पहचान रखता है। कहावत है कि ‘गढ़ तो चित्तौड़ बाकी सब गढै़या’। चित्तौड़ दुर्ग एशिया का सबसे बड़ा दुर्ग है तथा यहां का एक गौरवशाली इतिहास भी है। इस दुर्ग पर मीरा, पन्ना, पद्मिनी एवं महाराणा प्रताप का गौरवशाली इतिहास भी है। 

सांसद जोशी ने सदन के माध्यम से मंत्री से प्रश्न किया कि प्रधानमंत्री ने मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव वर्ष पर देश में विभिन्न ऐतिहासिक महत्व के स्थलों पर मीराबाई से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों को करने का निर्णय किया है। इससे क्या चित्तौड़गढ़ में भी मीराबाई के नाम से कोई स्मारक बनेगा क्या? इसके साथ ही चित्तौड़ दुर्ग में पूर्वी दिशा में भी द्वार के खोले जाने की लंबे समय से मांग है, तो उसके लिए क्या सरकार विचार कर रही है क्या?

चार स्थलों पर होंगे बड़े कार्यक्रम
सांसद जोशी के प्रश्न के जवाब में केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि भक्त शिरोमणी मीराबाई के 525वें जन्म जयंति के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मीराबाई के जीवन से जुड़े 4 स्थलों जन्म स्थल मेड़ता, विवाह स्थल चित्तौड़गढ़, भक्ति स्थल वृन्दावन, निर्वाणस्थली द्वारिका, जहां पर वे भगवान में समाहित हो गईं थी, वहां पर बड़े कार्यक्रम करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत चित्तौड़गढ़ में भी आगामी 21, 22 एवं 23 दिसम्बर को कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है। 

दुर्ग पर वैकल्पिक मार्ग के लिए बनेगी डीपीआर
मंत्री ने कहा कि दुर्ग पर वैकल्पिक मार्ग के लिए सांसद एवं जिला कलेक्टर ने मंत्रालय को पत्र लिखा है। मंत्रालय ने राज्य सरकार से उस पत्र के आधार पर उसकी डीपीआर को तैयार करने का आग्रह किया है। इसके बाद पुरातात्विक सर्वेक्षण अपने नियमों के अनुसार उसमें निर्णय कर पाएंगे।

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