राजस्थान सरकार ने शिक्षा नियम मे किए बड़े बदलाव

राजस्थान सरकार के मंत्रिमंडल फेरबदल से पहले विभाग में बड़े निर्णयों पर शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द डोटासरा ने मोहर लगा दी है। राजस्थान शिक्षा सेवा नियमों को हरी झंडी दिखाते हुए न सिर्फ टीचर के प्रमोशन के रास्ते खोल दिए हैं, बल्कि कई उच्च पदों के खाली रहने की समस्या भी खत्म कर दी है। खासकर टीचर से जुड़े उच्च पदों पर प्रमोशन के लिए नियमों में संशोधन कर दिया है। राजस्थान शिक्षा (राज्य एवं अधीनस्थ) सेवा के पदों पर प्रमोशन के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है।

सिर्फ प्रमोशन से बनेंगे DEO

वर्ष 1998 में शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारी के 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से और शेष 50 प्रतिशत पद प्रमोशन से भरने का निर्णय किया था। मजे की बात है कि इसके बाद एक बार भी किसी भी सरकार ने सीधी भर्ती से इन पदों को नहीं भरा। ऐसे में 50 प्रतिशत पद हमेशा खाली रहे हैं। 22 साल बाद शिक्षा विभाग ने बड़ा निर्णय करते हुए साफ कर दिया कि अब सीधी भर्ती नहीं होगी और सभी पद सिर्फ प्रमोशन से भरे जाएंगे।

फिजिकल टीचर को मिलेगा लाभ

जिन फिजिकल टीचर को अब तक प्रमोशन नहीं मिल रहे थे, उन्हें अब आसानी से प्रमोट होने का अवसर मिलेगा। फिजिकल टीचर में अब ग्रेड फर्स्ट का पद बन गया है। इससे ही प्रमोशन होकर आगे डिप्टी डीईओ के पद भी सामने आने वाले हैं।ग्रेड थर्ड से अब ग्रेड सेकेंड में प्रमोशन होगा। ग्रेड सेकेंड से अब ग्रेड फर्स्ट या कोच के रूप में प्रमोशन मिल सकेगा। ग्रेड फर्स्ट और कोच पद से डिप्टी डीईओ पर शत-प्रतिशत पदों पर प्रमोशन होगा।

जिस सब्जेक्ट का लेक्चरर बनना है, उसी में ग्रेजुएशन जरूरी

अब तक शिक्षा विभाग में अजीब व्यवस्था थी कि बीएससी योग्यता रखने वाले टीचर पोस्ट ग्रेजुएशन में आट्‌र्स का विषय लेकर हिन्दी, अंग्रेजी, हिस्ट्री सहित किसी भी विषय के लेक्चरर बन जाते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब हिन्दी का लेक्चरर बनना है, तो ग्रेजुएशन में भी हिन्दी होना जरूरी है। ऐसे में ग्रेजुएशन की पढ़ाई काे महत्व मिलेगा। इससे अच्छे सब्जेक्ट लेक्चरर मिल सकेंगे।

हायर पोस्ट पर नियमों में शिथिलता

शिक्षा विभाग में टीचर के लिए सबसे बड़ा प्रमोशन एडिशनल डायरेक्टर का पद होता है। नियमों में भारी सख्ती होने के कारण आमतौर पर न सिर्फ एडिशनल डायरेक्टर बल्कि जॉइंट डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर के पद भी खाली रह जाते थे। अब इन नियमों में बदलाव किया गया है। अब जॉइंट डायरेक्टर बनने के लिए डीडी के रूप् में तीन साल के अनुभव की जरूरत नहीं है, बल्कि डिप्टी डायरेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के चार साल का संयुक्त अनुभव हैं तो भी प्रमोशन मिलेगा। इसी तरह एडिशनल डायरेक्टर बनने के लिए तीन साल जॉइंट डायरेक्टर होना जरूरी नहीं है। एक साल जॉइंट डायरेक्टर और शेष तीन साल डिप्टी डायरेक्टर का अनुभव है तो भी अवसर मिलेगा।

पंचायत से शिक्षा विभाग में एंट्री आसान

अब तक पंचायत राज में नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों को तीन साल के अनुभव के बाद शिक्षा विभाग में लिया जाता था, लेकिन नए नियमों के पंचायत राज में नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग के रास्ते खाेल दिए गए हैं। अब तीन साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि नियुक्ति वाले दिन ही शिक्षा विभाग में लिया जा सकता है।

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