राजस्थान की बेटी अवनि लेखरा ने रचा इतिहास,भारत को दिलाया पहला गोल्ड

राजस्थान की अवनि लेखरा ने इतिहास रच दिया। टोक्यो पैरालिम्पिक में अवनि लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल में भारत को पहला गोल्ड दिलाया। फाइनल में 249.6 पॉइंट हासिल कर उन्होंने यूक्रेन की इरिाना शेटनिक के रिकॉर्ड की बराबरी की। शूटिंग में गोल्ड जीतने के साथ ही अवनि देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई जिसने गोल्ड मेडल जीता हो। आजतक किसी महिला खिलाड़ी ने भारत के लिए गोल्ड नहीं जीता है।

जयपुर की रहने वाली अवनि ने 9 साल पहले कार एक्सीडेंट में अपने दोनों पैर गवा दिए थे। अवनि व्हीलचेयर पर हैं। उनके मेडल जीतते ही उनके पिता प्रवीण लेखरा ने बातचीत में बताया कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनकी बेटी ने गोल्ड जीत लिया है। मेडल की उम्मीद थी मगर यह नहीं सोचा था कि गोल्ड आ जाएगा। शब्द नहीं हैं, कैसे बयान करूं। अवनि के पिता रेवेन्यु अपील अधिकारी हैं, फिलहाल गंगानगर में पोस्टेड हैं। पिता ने बताया कि टीवी पर ही मैच देखा, अबतक उससे बात नहीं हुई है, 2 बजे उससे बात होगी।

पहली बार गन तक नहीं उठा पाई थी, अब पोडियम पर बजेगा राष्ट्रगान

अवनि के पिता प्रवीण बताते हैं कि एक्सीडेंट के बाद बेटी पूरी तरह टूट चुकी थी। चुप-चुप रहने लग गई थी। किसी से बात नहीं करती थी, पूरी तरह डिप्रेशन में चली गई थी। इसकी पीठ पूरी तरह काटनी पड़ी। इतनी कमजोर हो गई थी कि कुछ कर नहीं पाती थी। किस खेल में इसे इन्वॉल्व करूं यही सोचता रहता था, एथलेटिक्स में नहीं भेज सकते थे क्योंकि जान नहीं बची थी। आर्चरी में कोशिश की मगर प्रत्यंचा ही नहीं खींच पाई। इसके बाद शूटिंग में कोशिश की, पहली बार तो इससे गन तक नहीं उठी थी, मगर आज इसकी वजह से टोक्यो पैरालिम्पिक के पोडियम पर राष्ट्रगान गूंजेगा।

मन बहलाने के लिए शूटिंग रेंज घुमान लेकर गए, कोविड के दौर में डिजिटल टारगेट घर लगाया

अपनी के पिता ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद जब यह परेशान रहने लगी थी तब मन बहलाने के लिए इसे शूटिंग रेंज लेकर गया था। वहीं से इसमें इंटरेस्ट डवलप होने लगा और आज इस मुकाम पर है। काफी समय से अवनि मेहनत कर रही थी, जबतक थककर चूर नहीं हो जाती रूकती नहीं थी। कोविड के दौरान जब इसकी शूटिंग रेंज बंद हो गई, तब इसकी जिद के कारण डिजिटल टारगेट घर लाकर लगाना पड़ा। उस दौर में टारगेट ढूंढने में काफी परेशानी आई। बड़ी मुश्किल से टारगेट ढूंढकर हम घर ला सके।

पिता का दर्द भी बाहर आया : पैरालिम्पिक को लोग कम्पीटिशन नहीं मानते

प्रवीण लेखरा ने बताया कि बेटी ने मेडल तो जीत लिया मगर इसे स्वीकारा नहीं जाता है। पैरालिम्पिक के लिए कहते हैं कि वहां कॉम्पीटिशन नहीं होता है। अच्छा खेल लें तो कहते हैं बैठे-बैठे ही तो निशाना लगाना होता है। इसमें क्या खास है, कोई भी कर सकता है। मगर यह इतना आसान नहीं है। इतनी विपरीत परिस्थितयों के बावजूद मेडल लाना गर्व की बात है।

पैरालिम्पिक में महिलाओं का तीसरा मेडल, ओलिम्पिक में अबतक 8

पैरालिम्पिक इतिहास में यह भारत के लिए महिलाओं का जीता तीसरा मेडल है, इससे पहले शॉटपुट में दीपा मलिक और इसी पैरालिम्पिक में भाविना पटेल ने टेबल टेनिस में मेडल जीता है। वहीं ओलिम्पिक में महिलाओं ने भारत को अबतक 8 मेडल दिलाए हैं। इनमें पीवी सिंधु ने 2, जबकि कर्णम मल्लेश्वरी, साइन नेहवाल, मैरिकॉम, साक्षी मलिक, मीराबाई चानू, लवलीना भारत को मेडल दिला चुकी हैं। हालांकि कोई भी महिला आजतक भारत को गोल्ड नहीं दिला पाई।

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