टोंक। पायलट ने कहा कि सरकार का पहला साल जनता की उम्मीदों और वादों को पूरा करने के लिए होता है लेकिन भाजपा सरकार ने किसानों की मांगों और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री के राजस्थान दौरे पर ईआरसीपी को लेकर कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और केंद्र में भाजपा सरकारें होने के बावजूद इस प्रोजेक्ट पर कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को लेकर कोई डॉक्यूमेंट जनता के सामने नहीं रखा गया। सरकार किसानों के आंदोलन का हल निकालने में नाकाम रही है लेकिन मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों पर सुर्खियां बनाने में सबसे तेज है।
पायलट ने धार्मिक स्थलों से जुड़े मामलों पर तनाव बढ़ने की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि संसद ने 1991 में धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने का कानून पारित किया था, लेकिन आज लोअर कोर्ट्स में ऐसे मुद्दे उभर रहे हैं, जिनसे बेवजह तनाव पैदा हो रहा है। उन्होंने संभल और अजमेर जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लोगों को बांटने वाली ताकतों से हमे परहेज करना होगा। राहुल जी और प्रियंका जी को संभल जाने से रोका गया, वे मृतकों के परिजनों से मिलने जा रहे थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया। भाजपा की राजनीति ध्रुवीकरण पर टिकी हुई है। भाजपा के लोग हमेशा कुछ ना कुछ सुलगाने की कोशिश करते रहते हैं। अगर आप देश में यह मुहिम छेड़ दें कि हमें धर्मस्थलों या मकानों को खोदना है और उसके नीचे क्या निकलेगा, यह देखना है तो इसका कोई अंत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को बांटने वाली ताकतों से बचने की जरूरत है।
महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव परिणाम पर पायलट ने कहा कि यह परिणाम बिल्कुल चौंकाने वाले थे। राजस्थान में भी हमारा प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, यहां हम केवल एक ही सीट जीत पाए। पार्टी जब चुनाव जीतती है तो उसका श्रेय सब लेते हैं आज अगर हम जीत नहीं पाए तो उसकी जिम्मेदारी भी सभी लोगों की है । उन्होंने कहा कि पार्टी को अपनी कमजोरियों पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दौसा में हम जीत हासिल करने में कामयाब रहे, लेकिन अन्य जगह परिणाम हमारे पक्ष में नहीं रहे।
भाजपा प्रदेश प्रभारी राधामोहन अग्रवाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पायलट ने कहा कि उन्होंने अग्रवाल से अब तक मुलाकात नहीं की है। उन्होंने कहा कि राजनीति में टीका-टिप्पणी का एक स्तर होना चाहिए। कड़वे बोल बोलकर कोई आगे नहीं जा सकता। पायलट का यह दौरा ग्रामीणों के बीच उनकी लोकप्रियता और जमीनी मुद्दों पर उनकी सक्रियता को दर्शाता है। उनकी इस यात्रा को आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है।