तीर्थनगरी मथुरा के वृंदावन में मंगलवार को जगन्नाथपुरी जैसा नजारा दिखा। अवसर था ब्रह्मोत्सव में भगवान गोदारंगमन्नार के विशाल रथ पर विराजमान होकर नगरवासियों को दर्शन देने का। 50 फीट ऊंचे भगवान के रथ को आस्था के साथ सैकड़ों भक्तों ने रस्सों से खींचकर आगे बढ़ाया। प्रभु की जय-जयकार के बीच सजे-धजे हाथी, घोड़े, ऊंट यात्रा की शोभा और बढ़ा रहे थे।
दक्षिण भारतीय रंगजी मंदिर में दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव के क्रम में मंगलवार को सुबह साढे सात बजे भगवान गोदारंगमन्नार का दक्षिण भारत के दर्जनों अर्चकों ने वेद मंत्रोच्चार के मध्य पूजन किया। उन्हें विशाल रथ में विराजमान किया गया। उनकी एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में एकत्र हो गए।

भगवान के चार घोड़ों वाले रथ से बंधे बड़े-बड़े रस्से को खींचकर हजारों श्रद्धालु उसे आगे बढ़ाते रहे। रथ के साथ चल रहे बैंडबाजों की धुनों पर श्रद्धालु भाव विभोर हो जमकर झूमते दिखे। रथ नगर पालिका चौराहे से रंगजी के बड़े बगीचे पर पहुंचा। बगीचा में विश्राम करने के बाद भगवान का रथ पर पुन: मंदिर लाया गया। पुरोहित विजय किशोर मिश्र ने बताया कि मंदिर के दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव में 50 फुट ऊंचे और करीब 45 टन के वजन के रथ को सैकड़ों भक्तों ने खींचा। रथ को नियंत्रित करने के लिए लकड़ी की ब्रेक हैं, जो व्यक्ति द्वारा करीब चार टन वजनी पहिए के नीचे लगाया जाता है। मान्यता है कि भगवान गोदारंगमन्नार विराजित रथ दर्शन और उसके खींचने से भक्तजनों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

वितरित किया प्रसाद
रथ के मेला में आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा के लिए नगर के समाजसेवी संस्थाओं और वृंदावन पत्रकार संघ की ओर से जगह-जगह मीठे व शीतल जल की प्याऊ लगाई और प्रसाद बांटा गया। नगर निगम द्वारा भी मुख्य गेट पर खोयापाया केंद्र बनाया गया। पत्रकार संघ की ओर से रंगजी बगीचा बिजली घर के सामने प्रसाद वितरित किया गया।