विभिन्न देशों में मंकी पॉक्स के मरीज मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में भी इसके संक्रमण की आशंका जताई है। ऐसे में प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सचेत करते हुए दिशा निर्देश जारी किया है। इसके तहत सभी एयरपोर्ट पर जांच की जाएगी।
स्वास्थ्य सचिव रंजन कुमार ने निर्देश दिया है कि पॉइंट्स ऑफ एंट्री वाले सभी जिलों में एक चिकित्सा इकाई का चिन्हीकरण रेफरल इकाई के रूप में किया जाय। ताकि जरूरत पड़ने पर संबंधित अस्पताल में मरीज भर्ती किया जा सके। संबंधित अस्पताल में भर्ती संबंधी सभी व्यवस्था हो। इसी तरह जिलेवार प्रभारी व नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। हवाई अड्डों, बंदरगाहों तथा भूमि सीमाओं पर अंतर्राष्ट्रीय यात्री स्वास्थ्य डेस्क स्थापित कर बुखार, अत्याधिक कमजोरी तथा अज्ञात कारणों वाले, दाने वाले मरीजों की जांच की जाएगी। प्रदेश में नेपाल बॉर्डर के जिलों में विशेष निगरानी की जाएगी।
21 दिन का लिया जाएगा विवरण
सभी जिलों में गत 21 दिवसों में मंकीपॉक्स के पुष्ट अथवा संभावित रोगी की सूचना वाले किसी देश में यात्रा कर आने वाले की भी स्क्रीनिंग की जाएगी। यदि किसी में लक्षण मिलता है तो उसकी केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी लैब में जांच कराई जाएगी। सैंपल भेजने के लिए भी अलग से टीम बनाने के निर्देश हैं। संदिग्ध मरीजों के बारे में तुरंत प्रदेश मुख्यालय पर बनी राज्य सर्विलांस इकाई को सूचित किया जाएगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर से निर्धारित दल के द्वारा एंबुलेंस के माध्यम से संदिग्ध रोगियों को चिन्हित अस्पतालों (ट्रांजिट आइसोलेशन फैसिलिटी) में स्थानांतरित किया जाएगा।
मरीज के संपर्क में आने वालों की होगी निगरानी
यदि किसी में मंकी पॉक्स की पुष्टि होती है तो कोविड की तर्ज पर अन्य गतिविधियां चलाई जाएंगी। रोगी के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों की सूची तैयार कर जिला व राज्य स्तरीय सर्विलांस इकाइयों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ताकि संदिग्ध रोगी में मंकी पॉक्स की पुष्टि होने की स्थिति में तत्काल आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।
मंकी पॉक्स के प्रमुख लक्षण
शरीर पर दाने, बुखार और लसिका ग्रंथियों में सूजन मंकीपॉक्स के मुख्य प्रारंभिक लक्षण हैं। ये लक्षण 2 से 4 सप्ताह तक बने रह सकते हैं। रोग की मृत्यु दर 1-10 फीसदी के बीच हो सकती है। मनुष्यों में मंकीपॉक्स रोग पशुओं अथवा अन्य संक्रमित मनुष्यों से आ सकता है। इस रोग का वायरस ब्रोकन स्किन (प्रदर्शित ना होने पर भी), श्वसन पथ, अथवा श्लेश्मिका झिल्लियों (आंख, नाक, या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुए गए कपड़ों, बिस्तर, तौलिए, वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सतहों पर मंकी पॉक्स वायरस कुछ समय तक बना रह सकता है। वायरस गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में तथा जन्म के दौरान या उसके बाद त्वचा से संपर्क से या मंकी पॉक्स से संक्रमित माता-पिता से निकट संपर्क के द्वारा शिशु में भी फैल सकता है।
इन देशों में है मंकी पॉक्स
27 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका, केन्या, रवांडा, युगांडा, कांगो, लोकतांत्रिक गणराज्य, बुरुंडी, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो-ब्रेजाविल, कैमरून, नाइजीरिया, आइवरी कोस्ट, लाइबेरिया, स्वीडन, पाकिस्तान, फिलीपीन्स तथा थाईलैंड (स्वीडन, पाकिस्तान, फिलीपीन्स तथा थाईलैंड में आयातित मामले) से मंकी पॉक्स के मामले सामने आए हैं। भारत में मंकी पॉक्स संक्रमण का अंतिम रोगी मार्च 2024 में केरल में मिला, जिसका अंतर्राष्ट्रीय यात्रा का इतिहास था। विभिन्न देशों से इस रोग के रोगी सूचित होने को दृष्टिगत रखते हुए भारत में इस रोग के संक्रमण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
घबराएं नहीं, पुख्ता हैं इंतजाम
प्रदेश मंकी पॉक्स से निपटने के सभी इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। जिलों के एंट्री प्वाइंट पर मरीजों की स्क्रीनिंग होगी। रोगियों का चिन्हीकरण, सैंपल कलेक्शन तथा उपचार के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में राज्य स्तरीय हेल्पलाइन नंबर (18001805145) जारी किया गया है। यह सारी व्यवस्थाएं एहतियात के तौर पर की जा रही हैं। कोई व्यक्ति विदेश से आया है या किसी में लक्षण है तो तत्काल जांच कराएं।-ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री