उत्तर रेलवे के गति शक्ति परियोजना में भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ा खुलासा करते हुए तीन रेलकर्मियों समेत कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 3.30 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई है, जबकि बैंक खातों में रिश्वत के लेन-देन के स्पष्ट प्रमाण भी मिले हैं। मंगलवार को सभी आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
इस बीच, सीबीआई असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर केके मिश्रा की तलाश में जुटी है, जो छापेमारी के दौरान फरार हो गया।
डीआरएम कार्यालय पर छापा, नकद बरामद
सीबीआई की टीम ने सोमवार को लखनऊ के हजरतगंज स्थित डीआरएम कार्यालय पर छापेमारी कर डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा, वरिष्ठ अनुभाग अभियंता अशोक रंजन, कार्यालय अधीक्षक अंजुम निशा, टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी जिमी सिंह और कंपनी संचालक प्रवीण सिंह (वाराणसी निवासी) को गिरफ्तार किया।
छापे के दौरान विवेक कुशवाहा के पास से 2.50 लाख रुपये, अशोक रंजन और अंजुम निशा के पास से 80 हजार रुपये नकद बरामद किए गए। यह रकम टैंजेंट इंफ्राटेक के जिमी सिंह द्वारा दी गई थी।
बिल पास कराने के लिए दी जाती थी घूस
सूत्रों के अनुसार, सीबीआई को सूचना मिली थी कि लखनऊ और वाराणसी में तैनात रेलवे अधिकारी गति शक्ति परियोजना के तहत ठेकेदारों से बिल पास कराने के एवज में घूस लेते हैं। टैंजेंट इंफ्राटेक के प्रवीण सिंह और सिकंदर अली को भदोही में कार्य मिला था, जिसके भुगतान के लिए प्रवीण ने डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा को रिश्वत दी थी।
प्रवीण ने अपने कर्मचारी जिमी सिंह के माध्यम से 21 और 26 जून को वाराणसी में राकेश रंजन को 2 लाख रुपये एक क्लब में सौंपे थे। इसके अलावा 28 अप्रैल को अभिषेक गुप्ता ने भी प्रवीण से 50 हजार रुपये रिश्वत ली थी, जो उनके अकाउंटेंट केशव चौधरी द्वारा जमा की गई थी।
3 करोड़ के बिल के लिए भी मांगी गई थी रिश्वत
प्रवीण सिंह की कंपनी का 3 करोड़ रुपये का बिल जब एक महिला अधिकारी के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया, तो उसमें भी रिश्वत के हिस्से का वादा किया गया था। कार्यालय सहायक मनीष ने प्रवीण को 3 जुलाई को बताया कि डीआरएम ने बिल में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
लेखा विभाग के कर्मचारी योगेश गुप्ता और वरिष्ठ लिपिक सुशील कुमार राय भी नियमित रूप से घूस लेते थे। जानकारी के अनुसार, 13 जुलाई को प्रवीण ने जिमी को निर्देश दिया था कि वह सोमवार को लखनऊ जाकर विवेक कुशवाहा को 7 लाख रुपये रिश्वत पहुंचाए।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ है केस
गति शक्ति परियोजना से जुड़ी इस रिश्वतखोरी में शामिल जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें शामिल हैं:
- विवेक कुशवाहा (डिप्टी चीफ इंजीनियर, लखनऊ)
- राकेश रंजन (सीनियर डिवीजनल इंजीनियर, वाराणसी)
- मनीष (कार्यालय अधीक्षक, पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी)
- अभिषेक गुप्ता (सीनियर सेक्शन इंजीनियर)
- योगेश गुप्ता (लेखा विभाग कर्मचारी)
- सुशील कुमार राय (सीनियर क्लर्क)
- प्रवीण सिंह और जिमी सिंह (टैंजेंट इंफ्राटेक प्रा. लि.)
- टैलेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संबंधित लोग
सीबीआई की जांच जारी है और फरार अभियुक्तों की तलाश तेज कर दी गई है।