उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए 5,352 विशेष शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में उठाया जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस भर्ती में पहले से काम कर रहे लगभग 2,200 विशेष शिक्षकों (स्पेशल एजुकेटर्स) को समायोजित किया जाएगा। हालांकि, यदि कोई शिक्षक टीईटी या सीईटी पास नहीं है तो उसे विशेष अध्यापक पात्रता परीक्षा (एसटेट) उत्तीर्ण करना होगा।
बेसिक शिक्षा विभाग के उप सचिव आनंद कुमार सिंह के अनुसार, प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5) के लिए स्नातक और भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यता प्राप्त डीएड विशेष शिक्षा या समकक्ष परीक्षा आवश्यक होगी। इसके साथ ही परिषद का पंजीकरण प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। वहीं, कक्षा 6 से 8 के शिक्षकों के लिए बीएड विशेष शिक्षा भी जरूरी है।
संविदा पर कार्यरत स्पेशल एजुकेटरों को, जो टीईटी या सीईटी पास नहीं हैं, राज्य सरकार द्वारा आयोजित एसटेट परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। इसके लिए अधिकतम उम्र 60 वर्ष तय की गई है और उम्मीदवारों को चार मौके दिए जाएंगे। नियुक्त विशेष शिक्षकों को अन्य सेवाओं और सुविधाओं में सामान्य शिक्षकों के समान待遇 मिलेगा।
नियुक्ति प्रक्रिया में योग्य अभ्यर्थियों का चयन राज्य आयुक्त दिव्यांगजन की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग समिति द्वारा किया जाएगा। अंतिम नियुक्ति बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। सभी चयनित विशेष शिक्षकों को छह महीने की क्रॉस डिसेबिलिटी ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे सभी प्रकार के दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने में सक्षम हो सकें। शेष पदों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया आरसीआई की योग्यता और सामान्य योग्यता के आधार पर पूरी की जाएगी।