बरेली के शाही थाना क्षेत्र के गौसगंज गांव में पूर्व प्रधान के बेटे की हत्या के बाद चल रहे सांप्रदायिक तनाव के बाद फिर सौहार्द की बयार बही है। पुलिस-प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के 11 परिवारों के 32 लोगों को गांव में उनके घरों में बसा दिया। छह परिवार पहले ही बसाए जा चुके हैं। इसके लिए काफी दिनों से मान-मनौव्वल चल रही थी।
बृहस्पतिवार को पुलिस टीम गौसगंज पहुंची। मुस्लिम परिवारों के गांव पहुंचने से पहले दूसरे पक्ष के लोगों से सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद दूसरे रास्ते से दोपहर बाद साढ़े तीन बजे चार टेंपो से 11 परिवारों के 32 लोगों को सुरक्षा व्यवस्था के बीच गांव में लाया गया। इनमें ज्यादातर महिलाएं व बच्चे थे। कुछ पुरुष भी थे जो संबंधित मुकदमे में नामजद नहीं थे। अरसे बाद जब इन लोगों ने अपने घरों के ताले खोले तो आंखें नम हो गईं।
बुधवार को ही बस जाते परिवार, सपा नेताओं की वजह से टला
पुलिस-प्रशासन काफी पहले से इसके लिए माहौल बना रहा था। अल्पसंख्यक पक्ष के लोग तैयार थे, पर इस गांव में बेहद कम आबादी वाला समुदाय इससे बवाल बढ़ने का खतरा जता रहा था। अधिकारियों ने उन्हें समझाकर तैयार कर लिया।

इसके बाद बुधवार का दिन तय किया गया था। भनक लगने पर सपा पदाधिकारी भी थाने पहुंच गए। इस वजह से अफसरों ने मामला टाल दिया था। गांव में 22 दिसंबर 2024 को ही पुलिस चौकी स्थापित कर दी गई थी। यहां पुलिसकर्मियों के साथ पीएसी के 18 से 20 जवान तैनात हैं। निगरानी के लिए 30 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।

पूर्व प्रधान बोले- बेगुनाह लोगों से दिक्कत नहीं
मुकदमे के वादी पूर्व प्रधान हीरालाल ने बताया कि उन्होंने जिन लोगों पर रिपोर्ट कराई या जिन्हें पुलिस ने विवेचना में आरोपी माना, उनके खिलाफ ही कार्रवाई होनी चाहिए। वह पूरी बस्ती के विरोध में नहीं हैं। ये लोग खुद ही गांव छोड़ गए थे। शांतिपूर्ण तरीके से लोग रहें तो कोई दिक्कत नहीं है।

परिवार को मिला गनर, ये हो चुकी कार्रवाई
19 जुलाई को हुए उपद्रव के बाद पूर्व प्रधान हीरालाल के पुत्र तेजपाल की मौत हो गई थी। इसमें नामजद 59 में से 56 लोग जेल जा चुके हैं। तीन मुख्य आरोपी अफसर, बाबू तथा मकसूद अभी फरार हैं। मृतक तेजपाल के पिता व घर की सुरक्षा के लिए गनर उपलब्ध करा दिया गया है।

अल्पसंख्यक परिवारों ने जताया भरोसा
जिन परिवारों को बसाया गया, उनसे मीडिया को दूर रखा गया। हालांकि, थाने में इन परिवारों ने मीडिया को बताया कि वे काफी परेशान हो चुके हैं। आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, पर उन्हें घर में रहने दिया जाए। उन्होंने अधिकारियों पर भरोसा जताया।

सीओ प्रथम पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि जो लोग बृहस्पतिवार तक पुलिस के पास आए हैं, उनको गौसगंज ले जाकर उनके घरों में बसा दिया गया है। आगे भी जो लोग आएंगे, उन्हें भी उनके घर पहुंचाया जाएगा। संवेदनशील मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए।