बीएचयू के वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना को मात दे चुके लोगों में कोविशील्ड वैक्सीन की एक डोज काफी

देश में कोरोना वैक्सीन को लेकर हो रही किल्लत के बीच बीएचयू के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी को सुझाव दिया है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं उनको वैक्सीन की सिर्फ एक ही डोज जरूरी की जाए. वैज्ञानिकों का दावा है कि जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उनके लिए एक ही डोज काफी है. उन्होंने इस बारे में पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक दो करोड़ से ज्यादा लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं. अगर उन लोगों को वैक्सीन की सिर्फ एक ही डोज ही लगाई जाए तो वैक्सीन को लेकर देश में जो संकट है वह समाप्त हो जाएगा. ज्यादा से ज्यादा लोगों को समय पर कोरोना वैक्सीन मिल सकेगी. बीएचयू के वैज्ञानिकों ने दो महीने तक कोरोना पर की गई स्टडी (Study) में पाया है कि एक बार संक्रमित हो चुके लोगों के लिए वैक्सीन की एक डोज ही काफी है.

उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों में वैक्सीन की पहली खुराक 10 दिन के भीतर ही पर्याप्त एंटीबॉडी बना देती है. ये एंटीबॉडी कोरोना से लड़ने में काफी मदद करती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक जो लोग कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं, उनमें वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडी बनने में करीब 3 से 4 हफ्ते का समय लगता है. बीएचयू के 6 वैज्ञानिकों मे कोरोना पर स्टडी की है. ये पायलट स्टडी 20 लोगों पर की गई थी.

इसीलिए उन्होंने पीएम को भी यही सुझाव दिया है कि कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों के लिए वैक्सीन की सिर्फ एक ही डोज जरूरी की जाए. उन्होंने 12 मई को पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी और उनको अपनी रिसर्च के रिजल्ट के बारे में बताया था. स्टडी में जूलॉजी विभाग के प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे, न्यूरोलाजी विभाग के प्रो. विजय नाथ मिश्र, प्रोफ़ेसर अभिषेक पाठक, डॉ.प्रणव गुप्ता, डा. प्रज्ज्वल प्रताप सिंह, डॉ. अन्शिता श्रीवास्तव शामिल थीं.

बीएचयू के जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि अभी इस पर और रिसर्च की जा रही है. वायरस के लगातार नेचर बदलने पर उसके खिलाफ नेचुरल एंटीबॉडी के रिजल्ट्स पर लगातार रिसर्च जारी रहेगी. जो भी रिजल्ट रिसर्च के बाद सामने आएंगे उनको देशे के सामने रखा जाएगा.

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