आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ा फैसला: तीन साल की भर्ती, न्यूनतम वेतन 20 हजार

उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों में अब आउटसोर्स कर्मचारी तीन साल तक सेवा दे सकेंगे। इसके बाद उनका अनुबंध नवीनीकृत होगा। पहले यह अवधि केवल एक साल की होती थी। नए नियमों के तहत न्यूनतम मासिक मानदेय 20 हजार रुपये तय किया गया है, जबकि पहले यह करीब 10 हजार रुपये था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी दी गई। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि निगम के जरिए ही एजेंसियों का चयन होगा और इसी प्लेटफॉर्म से भर्ती व भुगतान की प्रक्रिया पूरी होगी।

वेतन और सुविधाएँ

आउटसोर्स कर्मचारियों को तय मानदेय के साथ-साथ पीएफ और ईएसआई का लाभ मिलेगा। महिलाओं को मातृत्व अवकाश दिया जाएगा और आरक्षित वर्गों (एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस), दिव्यांगजनों, पूर्व सैनिकों तथा महिलाओं को नियमानुसार आरक्षण का लाभ मिलेगा।

भर्ती लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से होगी। समय-समय पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर परिवार को 15 हजार रुपये अंतिम संस्कार सहायता राशि मिलेगी।

व्यवस्था की विशेषताएँ

  • कर्मचारियों से महीने में 26 दिन सेवा ली जा सकेगी।
  • मानदेय हर महीने की 1 से 5 तारीख के बीच सीधे खाते में जाएगा।
  • ईपीएफ और ईएसआई का अंशदान सीधे जमा होगा।
  • किसी भी गड़बड़ी पर सेवा समाप्त की जा सकेगी।

श्रेणियों के अनुसार न्यूनतम वेतन

  • श्रेणी-1: चिकित्सीय, अभियंत्रण, परियोजना प्रबंधन, लेखा स्तर-1, वरिष्ठ अनुसंधान व व्याख्यान सेवाओं के लिए 40 हजार रुपये।
  • श्रेणी-2: कार्यालय, लेखा, डेटा प्रोसेसिंग स्तर-2, शिक्षण, नर्सिंग, फार्मेसी, परामर्श जैसी सेवाओं के लिए 25 हजार रुपये।
  • श्रेणी-3: कार्यालय, टंकण, दूरसंचार, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, इलेक्ट्रिशियन, फिटर, ड्राइविंग, पैरामेडिकल सेवाओं के लिए 22 हजार रुपये।
  • श्रेणी-4: कार्यालय अधीनस्थ, लिफ्ट ऑपरेटर, खान-पान, बागवानी, सुरक्षा, फायर, सैनिटेशन व अन्य सेवाओं के लिए 20 हजार रुपये।

क्यों बना निगम?

सरकार को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि आउटसोर्सिंग एजेंसियाँ कर्मचारियों को स्वीकृत मानदेय और अनिवार्य सुविधाएँ समय पर नहीं दे रही थीं। पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए सरकार ने यह निगम बनाया है।

यह एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी होगी, जिसे नॉन-प्रॉफिट संस्था के रूप में संचालित किया जाएगा। इसमें निदेशक मंडल, सलाहकार समिति और हर स्तर पर मॉनीटरिंग व्यवस्था होगी। कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन का 1% सर्विस चार्ज के रूप में निगम रखेगा, बाकी वेलफेयर फंड में जमा होगा।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था पहले से स्वीकृत नियमित पदों पर लागू नहीं होगी। अनुशासनहीनता या गंभीर अपराध की स्थिति में निगम की सहमति से संबंधित कर्मचारी को हटाया जा सकेगा।

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