यूपी में अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर बड़ी खबर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यहां पर उपचुनाव को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है। इससे यहां पर उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया।
बताते चलें कि पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ एक याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने 2022 में मिल्कीपुर सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती दी था। उनका कहना था कि अवधेश प्रसाद के नामांकन पत्रों में विसंगतियां हैं।
मामले में सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है। इससे भाजपा को झटका लगा है। वहीं मिल्कीपुर उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है।
सपा को महज दो सीटें हासिल हुईं
यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना था। लेकिन, उपचुनाव घोषणा के समय याचिका की वजह से मिल्कीपुर में उपचुनाव रोक दिया गया था। दो दिन पहले ही यानी 23 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आए हैं। इसमें भाजपा को सात सीटों पर विजय मिली। सपा को महज दो सीटें हासिल हुईं।
सपा-भाजपा को मिले कई सबक
नौ सीटों के उपचुनाव परिणाम सपा और भाजपा को कई सबक सिखा गए। करहल और कुंदरकी में भाजपा जहां वोटबैंक बढ़ाने में कामयाब रही, वहीं गाजियाबाद और मझवां में जीत दोहराने के बावजूद घटे वोटबैंक ने उसके लिए चुनौती बढ़ा दी है। दूसरी ओर सपा भले ही करहल और सीसामऊ सीट बचाने में कामयाब रही हो, लेकिन घटा वोटबैंक उसके लिए भी खतरे की घंटी है।
वोट को लूटकर भाजपा ने चुनाव जीता-अखिलेश
वहीं नतीजों के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा पर कई आरोप लगाए। सपा मुखिया ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैप्चरिंग से भाजपा चुनाव जीती। चुनाव में शासन-प्रशासन दुशासन बना। लोकतंत्र के चीर-हरण को जनता रोकेगी। ईवीएम के बटन की फोरेंसिक जांच कर ली जाए कि एक ही उंगली से कितनी बार बटन दबा। जिनकी उंगली पर निशान नहीं है, उनके भी वोट डाले गए। कुंदरकी के चुनाव में भाजपा ने बड़े पैमाने पर बेईमानी की। यह चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए। वोट को लूटकर भाजपा ने चुनाव जीता।
उपचुनाव का रास्ता साफ
अखिलेश यादव ने कहा था कि भाजपा हार से डरती थी, तभी मतदान की तारीखों को आगे बढ़ा दिया था। मिल्कीपुर को लेकर भी अखिलेश यादव सरकार को घेरते रहते हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि भाजपा के सर्वे में मिल्कीपुर में हार मिल रही है। इसलिए चुनाव को टाल दिया गया। अब हाइकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। इससे उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है। अब एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने वाली है। अब बस इतंजार इस बात रहेगा कि इस सीट पर चुनाव कब होगा?