फूलगोभी दो रुपये किलो: लागत भी नहीं मिली, मायूस किसानों ने जोत दी फसल

मंडियों में फूलगोभी एक से दो रुपये किलो बिक रही है। कड़ी मेहनत से उगाए गए गोभी के फूल किसानों को कांटे की तरह चुभने लगे हैं। फसल बेचकर मंडी तक पहुंचने का किराया तक नहीं मिल पा रहा है। परेशान होकर कल्याणपुरा गांव में दर्जनों किसानों ने सैकड़ों बीघा गोभी की फसल को जोत दिया है। फसल को राैंदने के दाैरान किसानों के आंखों में आंसू तक आ गए। 

अमरोहा क्षेत्र में बड़ी तादाद में किसान सब्जी की खेती करते हैं। सब्जी की फसलों में आलू के बाद किसान फूलगोभी, पत्ता गोभी और टमाटर बड़ी मात्रा में उत्पादन करते हैं। किसान सब्जियों को दिल्ली व उत्तराखंड की मंडियों में भी बड़ी मात्रा में बेचने जाते हैं। इस बार करीब पांच हजार हेक्टेयर जमीन में किसानों ने गोभी की फसल की बोआई की थी, लेकिन इस बार यह फसल घाटे का सौदा साबित हुई है।

शुरुआत में मंडियों में फूलगोभी का थोक भाव अच्छा रहा, लेकिन जैसे-जैसे मंडियों में गोभी की आवक बढ़ी तो भाव गिरता चला गया। लागत तो छोड़िए फसल को मंडी तक ले जाने का किराया भी वसूल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में दर्जनों किसानों ने गोभी की सैकड़ों बीघा फसल को जोत दिया है।  

मंडी में दो रुपये तो फुटकर में 15 रुपये प्रतिकिलो तक भाव

किसान को फसल का दाम भले ही नहीं मिल पा रहा हो, लेकिन बाजार में अभी भी गोभी का फुटकर में दस से 15 रुपये किलो तक बिक रही है। मंडी में गोभी का दाम लगभग एक से दो रुपये तक मिल रहा है। वहीं, किसानों को इसका दाम 25 से 60 पैसे प्रति किलो तक ही मिल पा रहा है।

सही भाव के इंतजार में खराब हो गई फसल 
शुरुआत में तो फूलगोभी के बाद ठीक रहे, लेकिन पछेती फसल सही रेट के इंतजार में खराब हो गई। अब अगली फसल में देर न हो, इसलिए किसानों को मजबूरन गोभी के खेतों को खाली करना पड़ रहा है। कई किसान तो ऐसे हैं, जोकि एक बीसा फसल भी नहीं बेच सके और उनकी फसल ही खराब हो गई। 

प्रति बीघा आता है आठ से दस हजार का खर्च
लागत की बात करें तो फूल गोभी और पत्ता गोभी उगाने में प्रति बीघा करीब आठ से दस हजार रुपये का खर्च आता है। अगेती फसल उत्पादकों को शुरूआत में भाव अच्छा मिला, लेकिन उस वक्त अधिकतर किसानों के खेतों में फसल तैयार नहीं थी। अब देरी होने के चलते किसान अपने खेतों को खाली करने पर मजबूर हो रहे हैं।

इस बार 17 बीघा जमीन में फूलगोभी की फसल थी। उम्मीद थी कि फसल का दाम अच्छा मिलेगा। लागत भी काफी लगी, लेकिन मुनाफा तो दूर लागत भी वसूल नहीं होने के कारण मजबूरन खेत को खाली करने के लिए जोतना पड़ रहा है। – राम रतन सिंह, कल्याणपुरा 

गोभी की फसल इस दफा नुकसान दायक साबित हुई है। आठ बीघा खेत में गोभी फसल तैयार की थी। लेकिन सही दाम न मिलने के कारण बिक नहीं सकी। अब अगली फसल को देर न हो, इसके लिए मजबूरन खेत को खाली करना पड़ रहा है। – महेंद्र सैनी, कल्याणपुरा 

खेत की जोताई और पौध की रोपाई के खाद-पानी और कीटनाशक पर करीब 10 हजार रुपया बीघा की लागत आई। लेकिन फसल तैयार होने के बाद मुनाफा तो दूर, लागत भी नहीं निकली। खेत को खाली करना मजबूरी है। – जगतवीर सैनी, कल्याणपुरा

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