चमकी के मेले और शरद पूर्णिमा पर ताज के दीदार से वंचित हो गए दर्शक

धवल चांदनी से दमकते ताज की झलक पाने के लिए सैलानी बेकरार हैं। यह बेकरारी तब भी थी जब शरद पूर्णिमा पर चमकी मेला ताजमहल के अंदर ही लगता था। वर्ष 1984 में ताजमहल को रात में सुरक्षा कारणों से बंद करने से पहले चमकी का मेला शरद पूर्णिमा पर लगता था। इसमें लाखों लोग रात भर ताज घूमने पहुंचते थे। भीड़ के प्रबंधन के लिए ताजमहल में यमुना नदी की तरफ अस्थायी सीढ़ियों का निर्माण फ्रीगंज से रेलवे के स्लीपर लाकर किया जाता था। रॉयल गेट की ओर से संगमरमर की सीढ़ियों से प्रवेश और यमुना किनारे अस्थायी सीढ़ियों से पर्यटक उतरकर नीचे चमेली फर्श पर आते थे।

तब ताज के अंदर ही सजती थीं दुकानें
ताजमहल के दक्षिणी गेट निवासी और खुद्दाम ए रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरुद्दीन ताहिर बताते हैं कि चमकी मेले में फोरकोर्ट में ही दुकानें लगती थीं। फोरकोर्ट में बने कमरों में स्थायी दुकानें थीं जबकि पार्क में बल्लियों और कपड़ों से अस्थायी दुकानें लगाई जाती थीं। 

ताजगंज में रात भर रहती थी चहलपहल
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि चमकी मेले में इतने पर्यटक आते थे कि ताजगंज नहीं बल्कि यमुना किनारा, पुराने शहर और एमजी रोड के होटल भी कम पड़ जाते थे। ताजगंज में तो पूरी रात चहलपहल रहती थी। यमुना किनारा रोड पर पैदल लोगों की भीड़ दिखती थी। ताजमहल के विशाल परिसर में रोशनी के लिए पेट्रोमैक्स लगाए जाते थे। उन्होंने कहा कि शरद पूर्णिमा पर अंदर नहीं लेकिन बाहर ऐसा ही मेला लगना चाहिए। यमुना पार व्यू प्वाइंट और किले-ताज के बीच बागीचे में ऐसे आयोजन किए जा सकते हैं।

रविवार को 127 सैलानी आज रात निहारेंगे ताज
सोमवार को शरद पूर्णिमा पर धवल चांदनी में नहाए संगमरमरी ताजमहल की खूबसूरती को निहारने के लिए 127 सैलानी पांच स्लॉट में पहुंचेंगे। रात 8:30 बजे से 11 बजे तक के स्लॉट के टिकट बुक करने के लिए रविवार को एएसआई माल रोड कार्यालय पर विशेष काउंटर खोला गया था।

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