श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि दिसंबर माह में अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। बताया कि मूर्ति श्रीराम के बाल स्वरूप की होगी। उन्होंने कहा कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अभी तिथि निर्धारित नहीं की गई है। कहा कि श्रीराम मंदिर के निर्माण में पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट और रेत का नहीं बल्कि तांबे की पत्तियों का प्रयोग किया जा रहा है।
चंपत राय ने शुक्रवार को विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में प्रतिभाग किया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि श्रीराम मंदिर का निर्माण सभी के लिए बहुत उत्साहवर्धक है।
मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्रतिष्ठा के लिए अभी तिथि का निर्धारण नहीं किया गया है। लेकिन आम चुनावों को लेकर आचार सहिंता लागू होने से पहले मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि गर्भगृह में पांच वर्षीय बालक के स्वरूप में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी।
ऐसा होगा राम मंदिर
मंदिर के स्वरूप के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि भवन की सीढ़ियों पर चढ़ना प्रारंभ करेंगे तो दूसरे छोर तक पूरब से पश्चिम की ओर 380 फीट लंबाई है। बताया कि दक्षिण से उत्तर की ओर भवन 250 फीट चौड़ा है। मंदिर भूमि से 161 फीट ऊंचाृ है।
मंदिर का फर्श ग्रेनाइड से बन रहा है, जिसकी ऊंचाई 16.5 फीट है। मंदिर का भवन 392 खंबों पर खड़ा है। चंपत राय ने बताया कि मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं हुआ है।
बताया कि दिसंबर 2023 में मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। वहीं प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत मंदिर के ऊपर के दूसरी और तीसरी मंजिल का निर्माण कार्य जारी रहेगा।