आजाद समाज पार्टी प्रमुख एवं भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर की तरफ से बसपा सुप्रीमो को लिखे गए पत्र से सियासी हलचल मच गई। हालांकि आजाद समाज पार्टी के प्रमुख ने इस पत्र को सिरे से नकार दिया है। उनका कहना है कि यह पत्र 2022 में लिखा गया था। किसी असमंजस की वजह से यह पत्र मीडिया में जारी हो गया।
दरअसल, रविवार को आजाद समाज पार्टी के प्रवक्ता टिंकू कपिल की तरफ से मीडिया को एक पत्र भेजा गया। जो पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर के नाम से बसपा सुप्रीमो मायावती को लिखा गया है।
चार पन्नों के पत्र में लिखा गया कि वर्ष 2014 और फिर 2019 में लगातार भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों में बहुमत से सरकार बनाई है। बहुजनों के सबसे मजबूत गढ़ उत्तर प्रदेश में भी भाजपा ने वापसी की है। बहुजन समाज के लिए यह कठिन दौर है।
भाजपा शासन में बहुजन समाज पर अत्याचार बढ़ा है और उसके अधिकार छीने जा रहे हैं। बहुजनों को शासन बनाने का सबसे बड़ा कार्य कांशीराम ने किया, जिसकी वजह से बहुजन समाज पार्टी ताकत बनकर उभरी और बहुजन आंदोलन भी मजबूत हुआ। उनके आंदोलनों में आपका (मायावती) का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण आज वह विचारधारा खत्म होती नजर आ रही है।
उन्होंने मायावती से अनुरोध किया है कि बहुजन समाज के हितों को देखते हुए हमें अपने मतभेद भुलाकर एक साथ आना होगा।
जैसे ही यह पत्र मीडिया में जारी हुआ तो पश्चिमी यूपी की राजनीति में भी हलचल मच गई। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। मामला लखनऊ तक पहुंच गया लेकिन देर शाम पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर की तरफ से इसे नकार दिया गया।
अमर उजाला से बातचीत में पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर ने बताया कि यह पत्र 2022 में लिखा गया था। फिलहाल ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा गया। कुछ असमंजस की वजह से यह पत्र मीडिया में जारी किया गया। वहीं, प्रवक्ता टिंकू कपिल ने बताया कि यह पुराना पत्र है, जो गलती से मीडिया को जारी हो गया था।