किसानों के बिना संभव नहीं विकास, तकनीक है मानव प्रगति का मंत्र: प्रशांत कुमार

साल 2017 में कारोबारी माहौल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश में 14वें स्थान पर था, जबकि अब यह दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि कृषि प्रधान प्रदेश में किसानों की भागीदारी के बिना विकास संभव नहीं है। समय के साथ तकनीक को अपनाना ही मानव विकास का मुख्य सूत्र है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों, किसानों और महिलाओं सभी के लिए मजबूत कानून-व्यवस्था आवश्यक है। वह मंगलवार को बरेली स्थित आईवीआरआई सभागार में प्रगतिशील किसानों, छात्रों, कृषि वैज्ञानिकों और एफपीओ सदस्यों से संवाद कर रहे थे।

सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव सौरभ बाबू ने बताया कि आठ वर्षों में प्रदेश की जीडीपी में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, तो पलायन की समस्या कम होगी। उन्होंने गन्ना मूल्य भुगतान के लिए सख्त कानून बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस मौके पर ड्रैगन फ्रूट उत्पादकों ने भी अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में डीएम अविनाश सिंह, एडीजी रमित शर्मा, डीआईजी अजय कुमार साहनी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि संस्थान ने अब तक पालतू और गैर-पालतू पशुओं के लिए 50 वैक्सीन तैयार की हैं। उनका लक्ष्य वर्ष 2047 तक नई तकनीक की मदद से विभिन्न बीमारियों के लिए और टीके विकसित करना है। वहीं, पूर्व निदेशक अशोक कुमार वर्मा ने पशुओं के लिए बीमा सुविधा और किसानों की उपज के लिए बड़े स्तर पर बिक्री और प्रोसेसिंग व्यवस्था की आवश्यकता जताई।

डीएम अविनाश सिंह ने कहा कि जब भी देश में अराजकता का माहौल बनता है, लोग ‘योगी मॉडल’ की बात करते हैं। उन्होंने बताया कि 2015-16 की तुलना में प्रदेश की कृषि विकास दर दोगुनी हो चुकी है और जिले में दलहन-तिलहन उत्पादन में 56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। ‘उत्तर प्रदेश @ 2047’ का रोडमैप जनता की सहभागिता से तैयार हो रहा है। नागरिक 5 अक्टूबर तक अपने सुझाव पोर्टल samarthuttarpradesh.up.gov.in पर भेज सकते हैं। सुझाव देने पर सहभागिता का प्रमाणपत्र भी उपलब्ध होगा।

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