प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों के लिए एक बड़ी पहल करते हुए राज्य के सभी 18 मंडल मुख्यालयों पर दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित करने जा रही है। इन केंद्रों के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों को स्थानीय स्तर पर शिक्षा, पुनर्वास और कौशल विकास से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए संचालित शिक्षण संस्थानों में प्रशासन को संवेदनशील और सतर्क रहना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि कुछ असामाजिक तत्व योजनाबद्ध तरीके से दिव्यांग छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वे अनुचित गतिविधियों की ओर आकर्षित हो सकते हैं। ऐसे प्रयासों को रोकने के लिए सतर्कता बरतना और विद्यार्थियों को सुरक्षित व मानसिक रूप से मजबूत वातावरण देना जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई बाहरी संस्था इन स्कूलों में सहायता के नाम पर प्रस्ताव देती है, तो उसकी पृष्ठभूमि की पूरी जांच के बाद ही अनुमति दी जाए।
शिक्षण संस्थानों का होगा व्यापक निरीक्षण
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य के बचपन डे केयर सेंटर, मानसिक मंदित आश्रय केंद्र, समेकित विद्यालयों तथा ‘ममता’, ‘स्पर्श’ और ‘संकेत’ जैसे विशेष स्कूलों की गहन समीक्षा की जाए। इन संस्थानों में बच्चों से सीधे संवाद कर उनकी जरूरतों, इच्छाओं और उनके अभिभावकों की अपेक्षाओं को समझते हुए व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि जहां शिक्षक पद रिक्त हैं, वहां जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए। जब तक नियमित शिक्षक नियुक्त नहीं हो जाते, तब तक योग्य युवाओं की अस्थायी तैनाती की जाए और भविष्य में इन्हें चयन प्रक्रिया में अतिरिक्त वेटेज दिया जाए।
विशेष विश्वविद्यालयों में कौशल विकास पर जोर
मुख्यमंत्री ने लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय और चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। साथ ही, इन विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने की बात कही ताकि देशभर के दिव्यांगजन इनसे जुड़ सकें।