ई-रिक्शा चलाने वाली आरती को लंदन में मिला अवार्ड, इस मजबूरी में शुरू किया था पेशा

बहराइच। गोद में पांच साल की बच्ची और पति की बेरुखी… ऐसे में घर चलाने का बोझ अपने कंधों पर लिए रिसिया के बभनी गांव की आरती ने समाज की बंदिशों को तोड़कर आत्मविश्वास की नई इबारत लिख दी। 

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत बैंक से ऋण लेकर ई-रिक्शा चलाने लगीं। लंदन में यूके रॉयल अवार्ड हासिल कर कठिन परिस्थितियों में संकटग्रस्त जीवन जीने वाली दूसरी महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं।

पांच महिलाओं को मिला था अवसर

गांधी जयंती के अवसर पर दो अक्टूबर को जिलाधिकारी मोनिका रानी की पहल पर नगरीय विकास अभिकरण से संचालित स्वरोजगार कार्यक्रम (एसईपीआई) के तहत चयनित तलाकशुदा पांच महिलाओं को शहर की सड़कों पर पिंक आटो का ‘सारथी’ बनने का अवसर मिला था। बहराइच जिले में पहली बार हुए अभिनव प्रयोग की साक्षी विधान परिषद सदस्य डाॅ. प्रज्ञा त्रिपाठी एवं सदर विधायक अनुपमा जायसवाल भी बनी थी।

इन्हीं महिलाओं में शामिल हैं रिसिया ब्लाक के बभनी गांव की रहने वाली आरती। उन्हें पति ने त्याग दिया था। ऐसे में पांच साल की बच्ची के भविष्य को संवारने के लिए जब उन्हें ई-रिक्शा चलाने का मौका मिला, तो समाज की बेड़ियों को तोड़ कदम आगे बढ़ा दिए। एआरटीओ के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रमाणपत्र व लाइसेंस मिलने के बाद में एलडीएम से बात कर डीएम ने बैंक से ऋण दिलाया।

आठ माह बाद 22 मई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंदन में आयोजित कार्यक्रम में प्रिंस ट्रस्ट ने यूके रॉयल अवार्ड नवाजा है। उन्हें विश्व प्रसिद्ध बकिंघम पैलेस में किंग चार्ल्स से मुलाकात का अवसर भी मिला है।

आगा खान फाउंडेशन ने दिया साथ

महिला आरती आगा खान फाउंडेशन से जुड़ी हुई थीं। कार्यक्रम अधिकारी सीमा शुक्ल से परिवार की आजीविका की समस्या बताई थी। इस पर उन्होंने सहयोग देते हुए डूडा से मिलने वाली योजना के लाभ की जानकारी दी, पहले कुछ झिझक थी। मगर समझाने के बाद आरती ने स्टेयरिंग पकड़ने की ठान ली और अपनी जिंदगी को भी रफ्तार दे दी।

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