छठवें चरण के चुनाव (तीन मार्च) में योगी सरकार के पांच मंत्रियों की भी परीक्षा होगी। सब अपनी पुरानी सीट से चुनाव मैदान में हैं। सबके सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती है। ज्यादातर मंत्री त्रिकोणीय या फिर चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसे हैं।
गोरखपुर-बस्ती मंडल का चुनाव तीन मार्च को होगा। इन मंडलों के सात जिलों में विधानसभा की 41 सीटें हैं। यूपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह, बेसिक शिक्षामंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी, कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद और श्रीराम चौहान भी चुनाव मैदान हैं। सबकी निगाहें इन सीटों पर लगी हैं। जीत-हार का समीकरण देखा जा रहा है।

पथरदेवा की लड़ाई कड़ी
देवरिया की पथरदेवा सीट से कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही चुनाव मैदान में हैं। सपा ने ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा व सपा के बीच कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है। हालांकि, बसपा ने परवेज आलम और कांग्रेस ने अंबर जहां को प्रत्याशी बनाया है। जानकार मानते हैं कि इससे मतों को बंटवारा हो सकता है। ऐसा हुआ तो फायदा भाजपा को मिल सकता है। फिलहाल, कृषि मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

रुद्रपुर की लड़ाई चतुष्कोणीय
देवरिया की रुद्रपुर सीट से राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद भाजपा प्रत्याशी हैं। कांग्रेस ने अखिलेश सिंह और सपा ने रामभुआल निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने सुरेश तिवारी को चुनाव में उताकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। सुरेश तिवारी बरहज से भाजपा विधायक हैं। इस बार टिकट नहीं मिला तो, बसपा का दामन थाम लिया है। माना जा रहा है कि इस सीट की लड़ाई चतुष्कोणीय है।

बांसी से स्वास्थ्य मंत्री प्रत्याशी
स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह सिद्धार्थनगर की बांसी विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं। सपा ने मोनू दुबे, बसपा ने राधेश्याम पांडेय और कांग्रेस ने किरन शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। बांसी की लड़ाई दिलचस्प है। सब अपने-अपने जीत का दावा भी कर रहे हैं। इन दावों में कितनी सचाई है, यह 10 मार्च को मतगणना के बाद पता चल सकेगा।

इटवा का मुकाबला रोचक
सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा सीट से बेसिक शिक्षामंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी भाजपा प्रत्याशी हैं। सपा ने माता प्रसाद पांडेय, बसपा ने हरिशंकर सिंह और कांग्रेस ने अरशद खुर्शीद को चुनाव मैदान में उतारा है। बताया जा रहा है कि इटवा का मुकाबला कड़ा है। भाजपा व सपा के बीच अच्छी लड़ाई है। हालांकि, कैडर के वोट के सहारे बसपा और मुस्लिम मतों के सहारे कांग्रेस भी लड़ाई को रोचक बना सकती है।