साहब, कुछ महीने नहीं बल्कि कुछ दिन बाद ही टमाटर 30, 40 या 50 रुपये किलो बिकेगा, लेकिन अभी तीन और चार रुपये किलो के भाव ने झकझोर कर रख दिया है। खेत से टमाटर तुड़वाने और मंडी ले जाने का खर्चा तक मौजूदा कीमतों से अधिक है। टमाटर की फसल करने वाले किसान राजेश शाक्य ये बातें कहते हुए रुक जाते हैं।
टमाटर की फसल पर चला दिया ट्रैक्टर
खेत के किनारे खड़े राजेश एक हाथ में टमाटर लेकर रिपोर्टर को दिखाते हैं और एक हाथ से अपने चेहरे का पसीना पोंछते हुए कहते हैं कि कीमतों से परेशान होकर मजबूरन फसल पर ट्रैक्टर चला दिया है। रामायन क्षेत्र में रहने वाले किसान राजेश शाक्य उन किसानों में हैं, जिन्होंने भाव न मिलने पर अपनी टमाटर की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया।
80 हजार रुपये किए थे खर्च
राजेश ने अपने आठ बीघा खेत में टमाटर की फसल की थी। एक बीघा में 8 से 10 हजार तक लागत आई। आठ बीघा खेत में लगभग 80 हजार रुपये खर्च किये थे। फसल बहुत अच्छी हुई, लेकिन भाव उम्मीद से कहीं ज्यादा नीचे चले गए। बाजार में 10 रुपये के तीन किलो टमाटर माइक लगाकर फुटकर में बेचे गए। थोक में कीमत दो रुपये भी मिलना मुश्किल हो गया।
कभी एक लाख रुपये मिल जाते थे, इस बार पांच हजार भी नहीं मिले
उन्होंने बताया कि कभी एक बीघा खेत के टमाटर एक लाख रुपये तक में बिक जाते थे, लेकिन इस बार एक बीघा फसल पांच हजार रुपये में भी नहीं बिक पाई है। क्षेत्र में राजेश के अलावा भी कई किसान हैं जिन्होंने कीमतों से परेशान होकर अपनी ही उगाई फसल को नष्ट कर दिया। इसमें नगला हरलाल के इंद्रेश शाक्य ने 10 बीघा, अरविंद कुमार ने छह बीघा, धर्मेंद्र सिंह शाक्य ने पांच बीघा, ओमप्रकाश ने पांच बीघा और रमायन के सुभाष चंद ने चार बीघा खेत में उगाई टमाटर की फसल खुद ही उजाड़ दी है।
30 बीघा की फसल नष्ट
किसानों की ओर से टमाटर की खेती को नष्ट करने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद उन क्षेत्रों को निरीक्षण किया गया। जिसमें कई किसानों ने 30 बीघा से अधिक फसल को नष्ट करने की जानकारी दी है। उच्चाधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई है, किसानों की समस्याओं का समाधान करवाया जाएगा। -श्याम सिंह, जिला उद्यान अधिकारी