आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले सपाइयों का चेहरा भूले नहीं हैं किसान : सिद्धार्थ नाथ

लखनऊ। मुख्तार और अतीक जैसे माफियाओं के पोषक अखिलेश यादव और उनके कुनबे की सत्य और अहिंसा जगजाहिर है। प्रदेश की जनता देख चुकी है कि सपा की सरकार में सत्य और अहिंसा का मानक किस तरह माफियाओं की कोठियों से तय होता था। वहीं कोठियां जो योगी सरकार में धूल में मिल चुकी हैं। यह बातें शनिवार को योगी सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कही।

सत्य और अहिंसा की बात कर रहे अखिलेश को आइना दिखाते हुए सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि यूपी की सड़कों पर दिनदहाड़े होने वाली हत्याओं के दौर को लोग भूले नहीं हैं। कुछ साल पहले तक प्रदेश में माफियाओं का साम्राज्य चलता था। माफियाओं के दरबार में सच, झूठ और गलत व सही के फैसले किए जाते थे। सरकार माफियाओं के इशारे पर चलती थी लेकिन अब दौर बदल गया है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि अखिलेश को बोलने से पहले अपना अतीत याद कर लेना चाहिए। साढ़े चार साल पहले तक किसानों, गरीबों के हिस्से का अनाज भ्रष्टाचारी और माफिया हड़प लेते थे। आज किसी की मजाल नहीं है जो गरीबों, किसानों की एक पाई पर भी नजर डाल सके।

उन्होंने कहा कि सपा की सरकार में किसान को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा था। न मंडियों में अनाज खरीदा जाता था और न उसे सुरक्षित रखने के लिए जगह मिलती थी। योगी सरकार साल दर साल न सिर्फ अनाज की रिकार्ड खरीद कर रही बल्कि 72 घंटे के भीतर किसानों के खाते में भुगतान भी किया जा रहा है। किसानों को सबसे ज्यादा सम्मान, सुविधाएं और आत्म निर्भर बनाने का काम योगी सरकार में हुआ है। सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव और उनका कुनबा चुनाव से पहले ही हार मान चुके हैं। वे हार के बहानों की तलाश करने में परेशान हैं। इसलिए ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।

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