प्रदेश के छह जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जहां नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शाहजहांपुर में कनौट, गर्रा और रामगंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जाने की वजह से तमाम गांव और मुख्य मार्ग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। वहीं दूसरी ओर सीतापुर में गोमती, बलिया में सरयू, आजमगढ़ में घाघरा, हरदोई में गर्रा और मऊ में सरयू खतरे के निशान को पार कर चुकी है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक लखीमपुर खीरी में शारदा नदी का पानी घट रहा है अथवा स्थिर है। बाराबंकी में घाघरा का जलस्तर फिलहाल स्थिर है। इसी तरह बहराइच, अयोध्या, गोरखपुर, गोंडा में भी नदियों का जलस्तर घट रहा है। बलिया में गंगा, जबकि सिद्धार्थनगर में राप्ती के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। बता दें कि बीते दस दिनों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में करीब 12 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। मुख्यमंत्री ने खुद प्रदेश के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करके अधिकारियों को बाढ़ पीड़ितों की हरसंभव मदद करने का निर्देश दिया है उन्होंने श्रावस्ती में 11 लोगों का रेस्क्यू करने वाले 7 लोगों को प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपए का नगद पुरस्कार देने की घोषणा भी की है।
वायुसेना की भी ले रहे मदद
राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि पीलीभीत में टापू पर फंसे 7 लोगों को वायुसेना की मदद से एयरलिफ्ट कराया गया है। इसी तरह कुशीनगर में 76 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। वहीं 21,239 से अधिक मवेशियों को भी सुरक्षित स्थान पहुंचाया जा चुका है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 804 बाढ़ शरणालय स्थापित किए गए हैं, जिसमें कुल 1,365 लोग रह रहे हैं। वहीं 1178 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं, जिससे लगातार निगरानी की जा रही है। इन क्षेत्रों में 914 नाव चलाई जा रही हैं। यही नहीं, आपदा से प्रभावित लोगों को 23,93,41 से अधिक लंच पैकेट और 7,345 से अधिक खाद्यान्न सामग्री की किट भी वितरित की गयी है। राहत कार्यों के लिए 12 कंपनी एनडीआरएफ, 9 कंपनी एसडीआरएफ, 23 कंपनी पीएसी और 1 कंपनी एसएसबी तैनात की गयी है।