पूर्व मंत्री से ठगी: फर्जी हस्ताक्षर से पुश्तैनी मकान पर लिया 1.40 करोड़ का ऋण

प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री चौधरी उदयभान सिंह के लोहामंडी, हसनपुरा स्थित पुश्तैनी मकान के फर्जी कागजात तैयार करके 1.40 करोड़ रुपये का ऋण ले लिया गया। किस्त जमा नहीं होने पर मकान पर कब्जा लेने के लिए फाइनेंस कंपनी से फोन आने पर पूर्व मंत्री को पता चला। उन्होंने जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त को प्रार्थनापत्र दिया। लोहामंडी थाने में धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने की धारा में कंपनी के अधिकारियों पर केस दर्ज हुआ है। पुलिस का कहना है कि साक्ष्य संकलन कर कार्रवाई की जाएगी।

पूर्व मंत्री के बेटे डाॅ. संजीव पाल ने बताया कि हसनपुरा में उनका पुश्तैनी मकान है। संपत्ति तकरीबन 900 वर्ग गज में है। वर्ष 1921 में दादा निहाल सिंह के नाम पर थी। दादा की मृत्यु के बाद दादी के नाम हो गई। उनकी मृत्यु के बाद वर्ष 2004 से पिता के नाम पर है। इस संपत्ति में मकान के अलावा शांति स्वीट्स के नाम से फर्म है, जिसे भाई (पूर्व मंत्री के बेटे) देवेंद्र सिंह चलाते हैं।

कंपनी में गिरवी रखे गए फर्जी कागजात
डाॅ. संजीव पाल ने बताया कि पिता के पास तीन महीने पहले एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, हैदराबाद के विधिक विभाग के अधिकारी का फोन आया। उन्होंने बताया कि संपत्ति पर 1.40 करोड़ का ऋण लिया गया है, जिसे चुकता नहीं किया गया। ऋण लेने के लिए संपत्ति के कागजात गिरवी रखे गए थे। इस वजह से कब्जा लिया जा रहा है। इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों से आदेश प्राप्त कर लिया गया है। उनकी संपत्ति की वर्तमान कीमत 7 से 8 करोड़ है। ऋण की जानकारी पर कंपनी से जानकारी ली।

डीसीपी सिटी ने की थी जांच
आरोप लगाया कि कंपनी में ऋण लेने के लिए संपत्ति के फर्जी कागजात लगाए गए। पिता कभी कंपनी के ऑफिस नहीं गए। ऋण के कागजात में उनकी फोटो तक नहीं है। इसके बावजूद ऋण पास हो गया, फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत है। उन्होंने 8 सितंबर को पुलिस आयुक्त डाॅ. प्रीतिंदर सिंह और जिलाधिकारी को प्रार्थनापत्र दिया। गहनता से जांच की मांग की। डीसीपी सिटी सूरज राय से जांच कराई गई। जांच के बाद केस दर्ज किया गया है। मामले में एक करीबी पर ऋण लेने की बात कही जा रही है।

फाइनेंसकर्मियों से होगी पूछताछ
डीसीपी सिटी ने बताया कि फर्जी हस्ताक्षर से ऋण लेने का आरोप है। हस्ताक्षर का मिलान कराया जाएगा। बैंक में जो दस्तावेज लगाए गए हैं, उनकी जांच होगी। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से हस्ताक्षर की पुष्टि होगी। फर्जी दस्तावेज लगाने में किसी करीबी की भूमिका हो सकती है। इसलिए विवेचना की जा रही है। फाइनेंसकर्मियों से भी पूछताछ की जाएगी। मुकदमे में कंपनी के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।

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