महामारी से लेकर आपूर्ति श्रृंखला बाधा तक, संघर्ष के प्रभाव से लेकर जलवायु से जुड़ी घटनाओं तक दुनिया आज अभूतपूर्व एवं विविध संकटों का सामना कर रही है। हमारा युग दिन प्रतिदिन अधिक परिवर्तनशील और अनिश्चित होता जा रहा है। यह कहना है विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का। विदेश मंत्री ने सोमवार को वाराणसी के टीएफसी में आयोजित जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक को बतौर अध्यक्ष संबोधित किया।
दुनिया की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले जी-20 देशों के सामने विदेश मंत्र ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, कर्ज संकट, ऊर्जा, खाद्य एवं उर्वरक सुरक्षा संबंधी दबाव के मद्देनजर वैश्विक आर्थिक सुधार की संभावना धीमी बनी हुई है। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुटता के साथ वैश्विक पहल की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जी-20 की विकास मंत्री स्तरीय बैठक से विकास से जुड़े इन मुद्दों पर एकजुटता प्रदर्शित करने का अवसर मिला है। आज जो हम निर्णय करेंगे, उसमें समावेशी, टिकाऊ और लचीले भविष्य के लिए योगदान देने की क्षमता होगी।
भारत ने तैयार की सात वर्षीय कार्ययोजना

जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने बताया कि भारत ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी सात वर्षीय कार्ययोजना तैयार की है। इस कार्ययोजना में डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचा, विकास के लिए आंकड़े को मजबूत करने, महिला नीत विकास के लिए निवेश और धरती की सुरक्षा के लिए ऊर्जा संसाधनों के परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
हमेशा की तरह ही कमजोर सबसे अधिक प्रभावित
विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड-19 से पहले एसडीजी में प्रगति पिछड़ रही थी और इस कारण समस्या और बढ़ी है। इसमें कई देशों पर बढ़ती महंगाई, ब्याज दर और सिकुड़ते राजकोषीय स्थान का प्रभाव पड़ा है। ऐसे समय में हमेशा की तरह ही कमजोर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। भारत 11-13 जून तक जी-20 समूह के देशों के विकास मंत्रियों की तीन दिवसीय बैठक की मेजबानी वाराणसी में कर रहा है।भारत की मेजबानी में जनवरी में आयोजित ‘वॉयस आफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन’ के बाद जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक का आयोजन किया जा रहा है। वाराणसी की बैठक में लिए जाने वाले फैसले एसडीजी पर सितंबर में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में पेश किए जाएंगे।