गाज़ियाबाद में नौकरी के नाम पर बड़ा फ्रॉड, एसटीएफ के हत्थे चढ़ा ‘शेल कंपनी किंग’ हर्षवर्धन जैन

गाज़ियाबाद के बहुचर्चित फर्जी एंबेसी रैकेट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को इस संगठित धोखाधड़ी से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे हैं। इस पूरे नेटवर्क का सरगना हर्षवर्धन जैन बताया जा रहा है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली दिखने के लिए 22 शेल कंपनियों का निर्माण किया था। इनमें से पांच कंपनियों के नाम देश की प्रतिष्ठित कंपनी रिलायंस से काफी मिलते-जुलते हैं।

विदेश में नौकरी के नाम पर लाखों की ठगी

STF को अब तक दो ऐसे पीड़ित मिले हैं, जिन्होंने खुलासा किया कि हर्षवर्धन ने उन्हें विदेश में रोजगार दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये ऐंठ लिए। एक पीड़ित दिल्ली का निवासी है, जिसने इराक में नौकरी के वादे पर 7 लाख रुपये किस्तों में दिए थे। वहीं उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के एक व्यक्ति ने भी 2 लाख रुपये की धोखाधड़ी की बात कही है। हालांकि अभी तक किसी भी पीड़ित ने इस संबंध में औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।

नामी कंपनियों से मेल खाते नामों से चलाया फर्जीवाड़ा

जांच में सामने आया है कि आरोपी ने अपनी फर्जी कंपनियों के नाम इस तरह रखे थे कि वे सरकारी या प्रतिष्ठित निजी संस्थानों से मिलते-जुलते प्रतीत हों। इससे भरोसा कायम करना आसान हो जाता था और लोग आसानी से उसकी बातों में आ जाते थे।

जिन शेल कंपनियों के नाम रिलायंस ग्रुप से मिलते हैं, उनमें शामिल हैं:

  • रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप
  • रिलायंस बिग पिक्चर्स
  • रिलायंस पीएलसी
  • रिलायंस कैपिटल
  • रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट

शेल कंपनियों की सूची और अंतरराष्ट्रीय जाल

जांच में उजागर हुई 22 कंपनियों की सूची में शामिल हैं:

  • EAST INDIA COMPANY UK LIMITED
  • LONDON ADVISORY LIMITED
  • RELIANCE BIG PICTURES PRIVATE LIMITED
  • MITTAL ISPAT PLC
  • EMIRATES PETROLEUM PLC
  • STATE TRADING CORPORATION LIMITED
  • HINDUSTAN FERTILIZER CORPORATION LIMITED
    …और कई अन्य कंपनियां, जिनका पंजीकरण लंदन, मॉरीशस और भारत में कराया गया था। इन कंपनियों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फर्जी नेटवर्क खड़ा करने और धोखाधड़ी को वैध रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया गया।

मनी लॉन्ड्रिंग और दस्तावेज़ी हेरफेर की भी आशंका

जांच एजेंसियों को आशंका है कि इन कंपनियों के माध्यम से न केवल नौकरी और निवेश के नाम पर ठगी की गई, बल्कि इनका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) और नकली दस्तावेजों के लेन-देन के लिए भी किया जा रहा था।

फिलहाल STF और केंद्रीय एजेंसियां इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही हैं। हर्षवर्धन जैन के साथ-साथ उसके अन्य सहयोगियों और इन शेल कंपनियों से जुड़े लोगों को भी पूछताछ के दायरे में लाया जा रहा है। आने वाले दिनों में और पीड़ित सामने आने की संभावना जताई जा रही है।

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