लखनऊ : पांच साल पहले शुरू की गई विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना (Vishwakarma Shram Samman Yojana) परंपरागत पेशे से जुड़े स्थानीय दस्तकारों और कारीगरों के लिए संजीवनी बन गई है. साथ ही लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत की मजबूत बुनियाद बन रही है. योजना के तहत अब तक करीब दो लाख श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर उनके हुनर को निखारा गया. उनके द्वारा तैयार उत्पाद कीमत एवं गुणवत्ता में बाजार में प्रतिस्पर्धी हों इसके लिए प्रशिक्षण पाने वाले 144212 कारीगरों को उनकी जरूरत के अनुसार निःशुल्क उन्नत टूल किट भी दिए गए हैं. प्रदेश सरकार (Up governmentt) ने अगले पांच साल में इस योजना के तहत पांच लाख लोगों को प्रशिक्षित कर उनका हुनर निखारने एवं उनको टूलकिट देने का लक्ष्य रखा है. जरूरत के अनुसार इनको बैंक से भी जोड़ा जाएगा. बजट में भी इसके लिए 112.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
उल्लेखनीय है कि परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों के हित के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार (Up government) ने 2017 में इस योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के केंद्र में बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनने वाले, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री एवं हस्तशिल्पी आदि थे. खुद में यह बड़ा वर्ग है. इस वर्ग के लोग कई पुश्तों से स्थानीय स्तर पर अपने परंपरागत पेशे से जुड़े थे. समय के अनुसार यह खुद को बदलें, इसके लिए उनको प्रशिक्षण मिले और काम बढ़ाने के लिए जरूरी पूंजी मिले इस ओर किसी सरकार का ध्यान नहीं गया. आजादी के बाद पहली बार योगी सरकार इनके श्रम के सम्मान, हुनर को निखारने एवं पूंजी संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान के नाम से एक नई योजना लेकर आई.
योजनांतर्गत चिह्नित परंपरागत कारीगरों और हस्तशिल्पियों का हुनर निखारने के लिए उनको हफ्तेभर का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रशिक्षित कारीगरों व हस्तशिल्पियों को उनकी जरूरत के अनुसार नि:शुल्क उन्नत टूलकिट्स उपलब्ध कराए जाते हैं. प्रशिक्षित कारीगरों को अपना कारोबार बढ़ाने या इसे और बेहतर बनाने में पूंजी की कमी बाधक न बने इसके लिए इनको प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Prime Minister Mudra Yojana) से लिंक करते हुए बैंकों के माध्यम से ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
इस संबंध में अपर मुख्य सचिव एमएसएमई (MSME) नवनीत सहगल कहते हैं कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के तहत इस बड़े वर्ग की बेहतरी के लिए ऐसी इनोवेटिव योजना जरूरी थी. इस योजना के जरिए परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों के जीवनस्तर में सुधार के साथ इनकी सेवाओं को भी आधुनिक बनाया जा रहा है.