हस्तिनापुर:सेंक्चुअरी में बढ़ रही है, बारहसिंघा की संख्या

शौर्य और धर्म की नगरी अपने पौराणिक इतिहास से तो समृद्ध है ही, अपनी जैव विविधता व प्राकृतिक सौंदर्य से भी लोगों को अपनी ओर खींचती है। तीन मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस है, इसलिए आपको हस्तिनापुर सेंक्चुअरी से जुड़ा एक रोचक तथ्य बता रहे हैं।

बारहसिंघा उत्तर प्रदेश का ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश का भी राज्य पशु है। बारहसिंघा के साथ साथ इस सेंक्चुअरी में हिरण, चीतल, पाड़ा, नीलगाय, कई प्रजातियों के अजगर की भी भरमार थी। जंगलों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण धीरे-धीरे बारहसिंघा कम होते गए।

हस्तिनापुर रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी नवरतन सिंह ने बताया कि सेंक्चुअरी बनाने के समय यहां हजारों बारहसिंघा थे लेकिन समय के साथ इनकी संख्या घटती गई। हस्तिनापुर सेंक्चुअरी में बिजनौर बैराज से ऊपर की ओर अब बारहसिंघा के झुंड देखे गए हैं। 2022 में होने वाली वन्य जीव गणना में इनकी बढ़ती संख्या दिखेगी।

1986 में बनी थी हस्तिनापुर सेंक्चुअरी

2073 वर्ग किलोमीटर में फैली हस्तिनापुर सेंक्चुअरी का गठन 1986 में बारहसिंघा को बचाने के लिए किया गया था। बारहसिंघा की मौजूदगी बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ और गाजियाबाद तक बताई जाती है। हालांकि, अभी इनके यहां से जाने की कोई ठोस वजह नहीं पता चली है।

180 किग्रा तक हो सकता है वजन

सींगों की संख्या लगभग 12 होने के कारण इसे बारहसिंघा नाम दिया गया। दलदली स्थानों पर पाए जाने के कारण इन्हें स्वैम्प डियर भी कहा जाता है। शाकाहारी होते हैं। ऊंचाई 130-135 सेमी तक और वजन लगभग 180 किग्रा तक हो जाता है। इनके खुर मुलायम होते हैं, इसलिए कठोर जमीन पर नहीं चल पाते। दलदली जमीन में उगने वाली मुलायम घास इनका पसंदीदा भोजन है।

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