हाथरस के बहुचर्चित बिटिया प्रकरण में राहुल गांधी के एक्स पर पोस्ट वायरल करने के बाद अब राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बिटिया प्रकरण में दोषमुक्त हुए रवि, राम कुमार उर्फ रामू व लवकुश के अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लीगल नोटिस भेजा है। नोटिस के जरिए प्रत्येक पक्षकार को 50-50 लाख रुपये मान हानिकारक बयान देने के एवज में देने के लिए कहा गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर को राहुल गांधी ने गांव में पहुंचकर बिटिया के परिजनों से वार्ता की थी। इसके बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की थी।
डिस्टि्रक्ट बार एसोसिएशन के अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर ने नोटिस के जरिए कहा है कि गांव में पार्टी बंदी की वजह से थाना चंदपा में संदीप सिसौदिया उर्फ चंदू के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। राजनीतिक दलों के अनुचित राजनीतिक समर्थन के कारण मेरे पक्षकार रवि, लवकुश और राम कुमार को सुनियोजित साजिश के तहत मामले में शामिल किया गया। इस मामले में सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया।
नोटिस में कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित कई अन्य राजनीतिक दल भी अपने राजनैतिक लाभ के लिए इस मामले में कूद पडे़ और जांच की निष्पक्षता को प्रभावित किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राहुल गांधी के माध्यम से मेरे पक्षकार का जीवन बर्बाद करने के लिए वादी को फंड भी उपलब्ध कराया था। मेरे पक्षकार को करीब ढ़ाई साल की लंबी अवधि के लिए हिरासत में रखा गया और उनके जीवन का बहुमूल्य समय सामूहिक ब्लात्कार, हत्या आदि के झूठे आरोपों के कारण समाज में बदनामी, अपमान और चरित्र हनन के अलावा जेल में बिताना पड़ा। उन्होंने नोटिस के जरिए कहा कि मुकदमा समाप्त हो गया और मेरे पक्षकार के रवि व लवकुश को विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत द्वारा बिचारित किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप अदालत में साबित नहीं हुए।
मेरा पक्षकार एक सुगम जीवन जीएगा, क्योंकि इस देश की जनता को न्यायालयों व न्यायिक प्रणाली पर भरोसा है और मुकदमे के समापन के बाद यह विश्वास हो गया कि मेरा पक्षकार निर्देाष था और साथ ही पीड़िता के साथ कोई ब्लात्कार नहीं हुआ था, इसलिए अदालत के फेसले के बाद मेरे पक्षकारों का जीवन कुछ हद तक आराम दायक होने जा रहा था ,लेकिन आपने गंदी राजनीति के तहत एक्स पर पोस्ट अपलोड की। पोस्ट में कहा कि रेप पीड़िता के परिवार को घर में बंद रखता और गैंगरेप के आरोपियों के खुलेआम घुमना बाबा साहेब के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
नोटिस में कहा है कि राहुल गांधी मुख्य राष्ट्रीय पार्टी के नेता और विपक्ष के नेता होने के नाते प्रत्येक शब्द का मतलब देश से है, लेकिन जानबूझकर चरित्र, प्रतिष्ठा, अखंडता को चोट पहुंचाने के इरादे से, जिसे मेरे पक्षकारों ने वापस पा लिया है। इसके बाबजूद भी सोशल मीडिया पर अपमान जनक पोस्ट के द्वारा उनका जीवन फिर से बर्बाद कर दिया है, जो अवमानना पूर्ण है, क्योंकि आप जानबूझकर सक्षम अदालत के फैसले को नकारते हैं।
नोटिस जरिए कहा है कि मानहानिकारक अपमानजनक बयान ने अदालत के फैसले के बाद भी मेरे पक्षकारों के चरित्र पर कलंक लगाया है, जो कि दंडनीय अपराध है। उन्होंने कहा है कि मानहानि के कानूनी नोटिस प्राप्ति के 15 दिन के अंदर प्रत्येक पक्षकार को 50 लाख रुपये अदा कर दें अन्यथा कि िस्थति में आपराधिक कार्रवाई शुरू की जाएगी।
न्यायपालिका का कर रहे अपमान
नोटिस के माध्यम से अधिवक्ता ने कहा है कि एक्स पर की गई पोस्ट से यह साफ जाहिर है कि राहुल गांधी गंदी राजनीति के लिए देश की न्याय पालिका का अपमान कर रहे हैं। अपने उद्देश्य के साथ अदालत के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।