यूपी में बाढ़ से बेबसी: हर जगह पानी ही पानी, 20 गांव बने टापू

लखीमपुर खीरी के फूलबेहड़ इलाके में बाढ़ की बेबसी की मार्मिक तस्वीर सामने आई। गांव में हर जगह बाढ़ का पानी का होने से गांव बसहा निवासी राम स्वरूप के शव के अंतिम संस्कार को परिजनों को तीन किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। परिजन नाव से शव लेकर तटबंध पर पहुंचे और अंतिम संस्कार किया।

शारदा नदी के उफान से सदर तहसील छेत्र के सिंधिया से लेकर नकहा तक 50 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में है। खाना बनाने और अंतिम संस्कार तक को गांव में जगह नहीं  है। तटबंध और घरों के ऊपर लोग डेरा जमाए है। श्रीनगर बालूगंज और मिलपुरवा- गूम रास्ते पर तीन फिट तक तेज धार में  पानी बह रहा है। गांवों में कमर तक पानी है। खमरिया, नकहा और मिलपुरवा में बाढ़ राहत केंद्र से अधिकारी नजर बनाए है। रविवार को प्रभावित गांव में ग्रामीणों को लंच पैकेट बांटे गए। बीमार लोगो को नाव से लाकर उनका इलाज कार्य गया। ये प्रशासनिक दावा है। इससे इतर फूलबेहड़ छेत्र में बाढ़ से घिरे ऐसे कई गांव जिनमे रविवार तक  प्रशासनिक मदद नही पहुंच सकी। 

बाढ़ ऐसी कि अंतिम संस्कार तक की जगह नहीं
फूलबेहड़ में तटबंध के अंदर बालूगंज, खांबी, बसहा, बड़ा गांव, भूलभुलिया, मंगलीपुरवा, खगईपुरवा, करदैयामानपुर चकलुआ, ग्रांट 12 गूम, चुखरीपुरवा, सिंधिया, नरी समेत 20 से ज्यादा गांव बाढ़ से घिरे हैं। बैठने और खाना बनाने तक जगह नहीं है। भोजन, पानी और मवेशीयों के चारे तक की किल्लत है। रविवार को बसहा गांव में बीमारी के चलते बुजुर्ग रामस्वरूप की मौत हो गई। घर और गांव पानी में घिरा होने से अंतिम संस्कार को जगह नहीं मिली। इस पर रिश्तेदार छत्रपाल को नाव की व्यवस्था करनी पड़ी। एक नाव पर चारपाई और उस पर शव रखा गया। दूसरी नाव पर लकड़ियां और सामग्री लादी। परिजन और ग्रामीण करीब तीन किलोमीटर बाढ़ का पानी पार कर तटबंध पहुंचे और मृतक का अंतिम संस्कार किया। 

20 किलोमीटर के दायरे के गांवों में बाढ़ का पानी है। प्रभावित गांव में लांच पैकेट बांटे गए। तीन बाढ़ चौकियों से निगरानी की जा रही है। बीमार लोगो को नाव से लाकर इलाज कराया गया है। हर संभव मदद दी जा रही है।

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