मथुरा, वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में दर्शनार्थियों की सुविधा व सुरक्षा के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण के मामले की अगली सुनवाई 30 अक्तूबर को होगी। मंदिर के चढ़ावे को लेकर 45 मिनट की बहस में सेवायतों व राज्य सरकार की खींचतान जारी रही। दोनों पक्षों ने अपनी पुरानी ही दलीलें पेश की। सरकार की तरफ से दोहराया गया कि हम सिर्फ चढ़ावे व चंदे की रकम से कॉरिडोर का निर्माण करना चाहते हैं। यह कॉरिडोर श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। सरकार मंदिर के मैनेजमेंट में किसी तरह का दखल नहीं देना चाहती है।
मंदिर से जुड़े लोगों को पहले की तरह ही सभी अधिकार बने रहेंगे। दूसरी तरफ मंदिर से जुड़े लोगों ने कॉरिडोर का विरोध नहीं किया, किंतु कहा सरकार इसके लिए मंदिर का पैसा न ले। सरकार कॉरिडोर के नाम पर वृंदावन की कुंज गली व अन्य पौराणिक स्थलों का स्वरूप बिगाड़ना चाहती है।, सरकार मंदिर मामले में दखलअंदाजी करना चाहती है। मंदिर की तरफ से साफ तौर पर कहा गया कि मंदिर को परंपरा के मुताबिक ही चलते रहने देना चाहिए।
मथुरा के सामाजिक कार्यकर्ता अनंत शर्मा व मधु मंगलदास के साथ ही अन्य लोगों ने याचिका दाखिल कर श्रद्धालुओं की सुरक्षा इंतजाम करने की मांग की है। अनियंत्रित भीड़ के कारण मौतों का हवाला दिया गया है। सेवायतों को याचिका में पक्षकार बनाने की अर्जी के औचित्य पर सवाल खड़े कर पक्षकार बनाने का विरोध किया। गोस्वामियों व श्री बांके बिहारी ठाकुर जी विराजमान सहित अन्य लोगों को पक्षकार बनाने के मुद्दे पर कोर्ट फैसला सुनाएगी। इनकी तरफ से याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए खारिज करने की मांग की गई। याचिका की सुनवाई 30 अक्तूबर को होगी।