साईं और संतोषी माता की पूजा करके खुद का अहित न करें हिंदू: अविमुक्तेश्वरानंद

साईं और संतोषी माता की पूजा सनातनियों के लिए नहीं हैं। यह दोनों अपूज्य हैं। इसलिए इनकी पूजा करके हिंदू खुद का अहित न करें। महाकुंभ में चल रही परमधर्म संसद में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने परमधर्मादेश जारी करते हुए ये बात कही।

परमधर्म संसद में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि देवताओं के मंदिरों में भी साईं और संतोषी माता की पूजा की जा रही है। वेदों और पुराणों में इनका कहीं भी प्रमाण नहीं मिलता है। वर्तमान समय में हिंदुओं में यह बीमारी तेजी से बढ़ी है। लालच और बहकावे में आकर हिंदू समाज के लोग इनकी पूजा करने लगे हैं जो कि अनुचित है।

परमधर्मसंसद यह परमधर्मादेश पारित करती है कि हमारे वेदों में एक ही उपास्य देवता हैं। वह सच्चिदानन्दघन परब्रह्म हैं। उनके असंख्य स्वरूप हैं। 33 कोटि देवता कहने पर ही पांच कोटि के देवताओं का ग्रहण होता है। 12 आदित्य अर्थात सूर्य, आठ वसु अर्थात पोषक विष्णु, 11 रुद्र अर्थात संहारक शिव, युग्म देवता अश्विनी कुमार अर्थात निग्रहानुग्रहकर्ता देवता हैं। यही पंचदेवता अपने असंख्य नामों, रूपों लीला,धामों में पूज्य होकर हमारी पूजा उस एक उपास्य देव तक पहुंचाते हैं। डाॅ. गार्गी पंडित ने उपास्य देवताओं पर चर्चा की। इसके बाद साध्वी गिरिजा गिरि, चंद्रानंद गिरि महाराज, जितेंद्र खुराना और आचार्य कमलाकांत त्रिपाठी ने चर्चा में भाग लिया।

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