मसान की होली धर्म के खिलाफ, काशी विद्वत परिषद ने उठाए सवाल

श्री काशी विद्वत परिषद, विश्व वैदिक सनातन संघ और सनातन रक्षक दल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मसान की होली को काशी की परंपरा के खिलाफ और धर्म विरुद्ध बताया. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने कहा कि मसान होली शास्त्रीय परंपरा के खिलाफ है और धर्म के भी विरुद्ध है. शास्त्रों में श्मशान में जाने और वहां किए जाने वाले व्यवहार की मर्यादा बताई गई है. मसान की होली उन तमाम मर्यादाओं को भंग करने वाली और परंपरा से खिलवाड़ करने वाली होली है.

मसान होली की स्कन्द पुराण इजाज़त नही देता है. कोई शास्त्र इसे कल्याणकारी नही मानता है. नागा साधु और संन्यासी भी मसान में होली नही खेलते है. बल्कि वो अपने अखाड़े और आश्रम में फूलों और भस्म की होली खेलते हैं. ये व्यक्तिगत उन्नति में बाधा उत्पन्न करने वाला वीभत्स आयोजन है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के सदस्य चंद्रमौली उपाध्याय ने कहा कि पद्म विभूषण छन्नूलाल की ओर से खेले गई मसाने में होली के बाद से ही मसाने की होली मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई.

मसान होली का इवेंट 10 से 12 दिन चलता

ये इवेंट दस बारह साल से हो रहा है. लोग भूल जाते हैं कि जहां लोग रुदन क्रंदन कर रहे हों आप वहां होली खेल रहे हैं और वो भी चिता की राख से. उन्होंने कहा कि हम युवाओं को विशेष रूप से बताना चाहते हैं कि आप ज्ञान के अभाव में पूरे शरीर पर चिता की राख लपेट रहे हैं. ये काशी की परम्परा पर आघात है और धर्मशास्त्र इसकी इजाजत नहीं देता है. काशी विद्वत परिषद के विनय पांडेय ने कहा कि अन्य क्षेत्र से पाप कर के काशी आने पर वो धुल जाता है, लेकिन काशी में जो ये जानबूझकर पाप किया जा रहा है ये कैसे धुलेगा?

‘मसान की होली धर्म विरुद्ध’

किस स्वरूप में श्मशान में जाना है और लौटकर क्या करना है ये सब शास्त्र में वर्णित है. मसान की होली के नाम पर ये पाप तत्काल बंद होना चाहिए. विश्व वैदिक सनातन और सनातन रक्षक दल ने कहा कि प्रशासन से इसको रोकने की मांग की गई है. इसके खिलाफ जरूरत पड़ी तो काशी के धर्माचार्य अनशन पर भी बैठने से भी नही पीछे हटेंगे. श्री काशी विद्वत परिषद ने कहा कि किसी की मां-बहन और स्वजन का शव रखा हो और आप उत्सव मना रहे हैं? मसान की होली धर्म विरुद्ध है,सनातन परंपरा के खिलाफ है और पाप है.

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