आईआईटी कानपुर की रिसर्च में खुलासा: नारकोंडम द्वीप के पास मिले तेल और गैस के संकेत

अंडमान निकोबार से 139 किलोमीटर दूर स्थित नारकोंडम द्वीप के पास सेडीमेंटरी बेसिन में गैस और तेल होने के संकेत मिले हैं। बेसिन में 10 किलोमीटर लंबी तरल परत मिली है, जिससे गैस और तेल मिलने की संभावना बढ़ गई है। यह खुलासा आईआईटी कानपुर के पीएचडी छात्र हर्षद श्रीवास्तव की रिसर्च में हुआ है। 

दूसरे चरण की रिसर्च के बाद इस पर अंतिम मुहर लग जाएगी। अगर ऐसा होता है तो देश को आर्थिक मजबूती मिलेगी। हर्षद का यह रिसर्च पेपर जर्मनी की पत्रिका जीओ-मरीन लेटर में अक्तूबर में प्रकाशित हुआ है।

आईआईटी के अर्थ साइंस विभाग के पीएचडी छात्र हर्षद श्रीवास्तव ने विभाग के सहायक प्रोफेसर दीबाकर घोषाल के मार्गदर्शन में यह रिसर्च शुरू की थी। 2019 में शुरू हुई रिसर्च को पूरा करने में करीब चार साल का समय लगा है। 

यह रिसर्च ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) की ओर से दिए गए डाटा का विश्लेषण कर निकाली गई है। दो चरणों में होने वाली इस रिसर्च का पहला चरण सफल रहा है। दूसरे चरण में तेल और गैस की पुष्टि हो जाएगी।मूल रूप से बलिया जिले के बिगाही बहुआरा निवासी हर्षद ने बताया कि नारकोंडम द्वीप सुप्त द्वीप है। उन्होंने बताया कि द्वीप से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित समुद्र में 2डी सेस्मिक लाइन से परीक्षण किया गया। समुद्र की गहराई करीब 1.5 किलोमीटर है। समुद्र की गहराई के बाद सी फ्लोर से 650 मीटर नीचे 20 मीटर चौड़ी और 10 किलोमीटर ज्यादा लंबी तेल और गैस की कंबाइंड लेयर मिली है।

ओएनजीसी से लिया डाटा
हर्षद ने बताया कि ओएनजीसी से मिले सिस्मिक डाटा की मदद से इस रिसर्च को पूरा किया गया है। इस डाटा के लिए एयर गन और हाइड्रोफोन का उपयोग हुआ है। एयरगन के उपयोग से हाईप्रेशर बबल पानी की सेडीमेंटरी लेयर में भेजा गया जिसके प्रेशर को हाइड्रोफोन की मदद से रिकाॅर्ड किया गया। यह डाटा कलेक्शन की तकनीक है।

दूसरे चरण में वेल लॉग डाटा की मदद से होगी पुष्टि
हर्षद ने बताया कि रिसर्च के दूसरे चरण से वेल लॉग डाटा विधि से तेल और गैस के होने की पुष्टि हो जाएगी। हालांकि वेल लॉग डाटा काफी महंगी प्रक्रिया है। एक वेल लॉग का खर्च करीब 200 करोड़ आएगा। इसमें मैनुअल काम होगा। पानी के अंदर पाइप डालकर गैस-तेल का पता लगाया जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here