ध्वस्त होगा मेरठ में सेंट्रल मार्केट का अवैध निर्माण, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

यूपी में मेरठ की सेंट्रल मार्केट में अवैध निर्माण को लेकर सु्प्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण को गिराने का आदेश जारी किया है. इसके लिए अवैध दुकानों को खाली करने के लिए दुकानदारों को 3 महीने का समय दिया है. इसके 2 सप्ताह बाद आवास विकास परिषद अवैध निर्माण को ध्वस्त करेगा. इस एक्शन में सभी प्राधिकारी शामिल रहेंगे. ऐसा न करने पर कोर्ट की अवमानना के तहत एक्शन भी होगा.

अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के साथ ही कोर्ट ने उन सभी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं, जिनके रहते अवैध निर्माण हुआ था.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. साथ ही 499 भूखंडों के भू-उपयोग की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. इस पर आवास एवं विकास परिषद ने शास्त्रीनगर स्कीम-7 और स्कीम-3 में सर्वे किया और 1478 आवासीय भूखंडों की रिपोर्ट दी थी. इनमें भू-उपयोग परिवर्तन करके व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं.

बता दें कि आवास विकास परिषद ने मेरठ में शास्त्री नगर के व्यापारियों को 1995 में नोटिस भेजे थे. उस वक्त व्यापारियों ने नोटिस को अनदेखा किया था. दरअसल, सेंट्रल मार्केट के 661/6 प्लाट पर बनी 24 दुकानों को ध्वस्त करने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया था. ये प्लॉट आवास विकास परिषद के रिकॉर्ड में वीर सिंह के नाम है, जो कि काजीपुर निवासी हैं.

वहीं, साल 1992 से लेकर 1995 तक इस प्लॉट पर बनी दुकानों को व्यापारियों के हाथ बेंच दिया गया. वहीं, व्यापारियों ने इसे अपने नाम नहीं कराया. इस मामले को लेकर आवास विकास सिविल कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक गया. उसने वीर सिंह को ही प्रॉपर्टी का मालिक बताया.

जबकि व्यापारियों ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर स्टे भी मिल गया था. मगर, 10 साल बाद 19 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने मामले में आदेश सुरक्षित रखा और आवास विकास परिषद से 499 भवनों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी.

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