2021-22 में यूपी के आबकारी विभाग ने की रिकॉर्ड 36,208.44 करोड़ की कमाई

सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले आबकारी विभाग की यूपी में साल 2021-22 में रिकॉर्ड कमाई हुई है। वर्ष 2021-22 के लिए मार्च 2022 तक उत्पाद शुल्क जो प्राप्त हुआ है उसके मुताबिक सरकार ने 36,208.44 करोड रुपए की कमाई हुई है. जबकि साल 2020-21 की बात करें तो यह 30061.44 करोड रुपए थी। इस तरह साल 2020-21 और 2021-22 के आंकड़ों को देखें तो एक साल में यूपी सरकार को 6147 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। यहां पर आपको यह भी बता दें की सरकारों की सबसे ज्यादा कमाई पेट्रोल-डीजल और शराब से होती है, शायद इसीलिए अभी तक इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है.

आंकड़ों को देखकर और सरकार के द्वारा लिए गए फैसलों से कहा जा सकता है कि 2022- 23 में यूपी सरकार का यह मुनाफा और बढ़ने वाला है, क्योंकि नए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शराब की दुकान का लाइसेंस लेना महंगा हो गया है. देसी शराब 5 रूपये सस्ती होगी. सरकार के इस कदम से राज्य सरकार के कोष में 41000 करोड़ रुपए अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। यूपी की योगी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति घोषित की है, जिसके मुताबिक 1 अप्रैल 2022 से यूपी में शराब की नई दुकान का लाइसेंस लेना महंगा हो गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में सभी श्रेणी की शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस शुल्क में 7.5 फ़ीसदी की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया था जो 1 अप्रैल से प्रभावी हो गया है. इस कदम से राज्य सरकार का 41000 करोड रुपए का अतिरिक्त वार्षिक राजस्व प्राप्त होगा।

आपको बता दें जब आप एक बोतल शराब खरीदते हैं उसका आधा पैसा राज्य सरकार के खजाने में जाता है. हर वस्तु पर टैक्स जीएसटी से अब वसूला जाता है लेकिन इससे अभी पेट्रोल-डीजल और शराब बाहर है. इसलिए राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से शराब पर टैक्स लगाती हैं और राजस्व वसूलती है. आम तौर पर राज्य सरकार शराब बनाने और बेचने का टैक्स अलग अलग लगाते हैं, जो एक्साइज ड्यूटी के नाम पर वसूला जाता है. राज्यों ने इसके लिए बैट की व्यवस्था की है, एक्साइज ड्यूटी के अलावा भी शराब पर स्पेशल शेष, ट्रांसपोर्ट फीस, लेबल और रजिस्ट्रेशन जैसे कई चार्ज अलग से लगाए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप 1000 की शराब खरीदते हैं तो इसमें 35 से 50 प्रतिशत या इससे ज्यादा का टैक्स राज्य सरकार लेती है. यानि 1000 की शराब खरीदने पर 350 से 500 रुपये तक दुकानदार या शराब बनाने वाली कंपनी को नहीं मिलता बल्कि सरकार के खजाने में जाता है. सरकार पर इतना भारी भरकम टैक्स लगाने की वजह से राज्यों को 

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