इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म केआरोपियों की स्थानांतरण याचिका को रद्द करते हुए कहा कि न्याय केवल आरोपियों के लिए नहीं है, पीड़िता के साथ भी न्याय होना चाहिए। याचिकाओं ने उन पर दायर मुकदमे को झांसी जिले से किसी अन्य जिले में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा की पीठ ने कहा कि यदि किसी मामले को स्थानांतरित किया जाता है तो यह सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता का अपमान होगा।
पीठ ने कहा यदि मामला जिला झांसी से किसी अन्य जिले में स्थानांतरित किया जाता है तो यह पीड़िता गवाहों, अभियोजन पक्ष और पूरे समाज के लिए असुविधाजनक होगा। क्योंकि मामला सामूहिक दुष्कर्म से संबंधित है। मामले में तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
याची विपिन तिवारी और रोहित पर आरोप है कि उन्होंने पीड़िता के साथ दुष्कर्म के दौरान मोबाइल पर वीडियो बना लिया। जबकि शैलेंद्र नाथ पाठक पर आरोप है कि उसने पीड़ित से 1000 और 2000 रुपये लिए। आरोपियों ने मौजूदा स्थानांतरण याचिका दायर करते हुए कहा कि पीड़िता के पिता झांसी में पेशे से वकील हैं और इसलिए कोई भी एडवोकेट जिला न्यायालय झांसी में आवेदकों की ओर से पेश होने के लिए तैयार नहीं है।
पीड़िता के पिता के प्रभाव के चलते नहीं मिल रहा न्याय
उन्होंने यह तर्क दिया गया कि आवेदकों को मुकदमा लड़ने के लिए अपनी पसंद के वकील को नियुक्त करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन पीड़ित के पिता के प्रभाव के कारण आवेदकों को उस अवसर से वंचित किया जा रहा है। वहीं, विपक्ष वकील ने स्थानांतरण आवेदनों का विरोध करते हुए जिला न्यायालय झांसी में विभिन्न एडवोकेटों द्वारा आवेदक विपिन तिवारी और शैलेन्द्र नाथ पाठक की ओर से दायर वकालतनामे की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया।
आवेदक रोहित कुमार की ओर से कोई वकालतनामा दायर नहीं किया गया था। एजीए ने प्रस्तुत किया कि चूंकि मामले में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। जबकि मामला जघन्य है और सामूहिक बलात्कार से संबंधित है। इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि यदि मामला झांसी से दूसरे जिलों में स्थानांतरित किया जाता है, तो सामूहिक बलात्कार पीड़िता को दूसरे जिले की यात्रा करनी होगी। जिसके चलते अंतत: पीड़िता को कठिनाई और मानसिक पीड़ा हो सकती है। कोर्ट ने कहा इतना ही नहीं औपचारिक गवाहों को छोड़कर अन्य सभी गवाह जो झांसी के निवासी हैं, उन्हें दूसरे जिले की यात्रा करनी होगी। जहां मामले को स्थानांतरित किया जाएगा। कोर्ट जिला मजिस्ट्रेट झांसी को मामले की प्रगति की निगरानी करने का निर्देश दिया।