मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद के मामले में न्यायमित्र की नियुक्ति पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट में गुरुवार को मुस्लिम पक्ष ने दलील में कहा कि मामला दो निजी पक्षकारों के बीच होने की वजह से इसमें न्यायमित्र की नियुक्ति गैरकानूनी है।
मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत कर रही है। कोर्ट ने 31 मई को सिविल वाद की पोषणीयता के बिंदु पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। इसके बाद कोर्ट ने शाही ईदगाह के वकील महमूद प्राचा की अर्जी पर बहस पूरी करने की इजाजत दी थी। महमूद प्राचा की ओर से वादी पक्ष के वकीलों के अनियंत्रित आचरण पर भी सवाल उठाया गया। उन्होंने अदालती कार्यवाही की वीडियोग्राफी करवाने की भी मांग की।
मुस्लिम पक्ष की ओर से की गई बहस पर हिंदू पक्ष के वकीलों ने प्रतिवाद किया। कहा कि न्यायमित्र की नियुक्ति करना न्यायालय का विवेकाधिकार है। इस पर उठाई गई आपत्ति गलत है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि महमूद प्राचा की ओर से उठाई गई आपत्तियों से जुड़ी अर्जियां लंबित हैं।
इनका निस्तारण सिविल वाद की पोषणीयता पर सुरक्षित किए गए फैसले के बाद ही विचार किया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रतिवादी (मुस्लिम पक्ष) की ओर से उठाई गईं आपत्तियों पर वादियों का पक्ष भी सुना जाना जरूरी है। इसी के साथ अदालत ने सुनवाई की स्थगित कर दी। अगली सुनवाई की तिथि फिलहाल, नियत नहीं की गई है।
हिंदू पक्ष ने मीडिया पर जताया ऐतराज, कोर्ट बोली- बाद में करेंगे विचार
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से अदालत में विभिन्न समाचार पत्रों के खिलाफ शिकायती अर्जी भी दाखिल की गई है। ट्रस्ट की ओर से वादी आशुतोष पांडेय ने आरोप लगाया है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले की खबरें अदालती कार्यवाही से इतर भी प्रकाशित की जा रही हैं। अदालत ने इस अर्जी का भी संज्ञान लिया है। हालांकि, कोर्ट ने तत्काल कोई आदेश पारित नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि उचित समय पर इस अर्जी पर विचार किया जाएगा।