गाजियाबाद की तहसील सदर में बुधवार दोपहर करीब दो बजे तीन नकाबपोश हमलावरों ने चैंबर में घुसकर वकील मनोज चौधरी उर्फ मोनू (38) की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने तीनों हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में आरोपी अमित डागर ने बताया कि वह सरिता से बेटी को घर भेजने के लिए कह रहा था कि हमारे घर में रक्षाबंधन का त्योहार हो जाएगा। लेकिन सरिता नहीं मानी और अपनी बेटी को नहीं भेजा। इस पर गुस्साए अमित और नितिन ने दो दिन पहले मनोज की हत्या की साजिश रची। वहीं अमित ने सरिता के नाम करीब डेढ़ करोड़ रूपये कीमत के दो मकान खरीदें थे। अमित का कहना है कि सरिता उन्हें मनोज की मदद से बेचने का प्रयास कर रही थी। जिसका वह विरोध कर रहा था।
पुलिस ने बताया कि अमित डागर, नितिन डागर और पालू ने अधिवक्ता मनोज चौधरी हत्याकांड को अंजाम दिया था। तीनों ब्रेजा कार से तहसील पहुंचे थे। नितिन चैंबर के अंदर गया था, नितिन ने ही मनोज के गोली मारी थी। अमित और पालू चैंबर के बाहर खड़े रहे थे। इसके बाद तीनों कार से भाग गए। कार चिरंजीव विहार में अमित ने अपने घर पर खड़ी की। इसके बाद गांव दुहाई चले गए। वहां से पालू की कार से अलग-अलग ठिकाने बदलते रहे।
तहसील में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद होने के बावजूद बदमाश बड़े आराम से पैदल ही भाग निकले। इस दौरान वे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए। हत्या के पीछे मोनू का बहनोई एडवोकेट अमित डागर, उसके भाई एडवोकेट नितिन डागर और उसके परिवारीजनों के साथ विवाद सामने आया। मोनू की पत्नी कविता ने सिहानी गेट थाने में उनके खिलाफ ही नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई।
दोपहर के दो बजे थे, अधिवक्ता मनोज चौधरी चैंबर में खाना खा रहे थे। चैंबर के मालिक बैनामा लेखक मुनेश त्यागी बराबर में बैठे थे। पास में ही मुंशी जितेंद्र और गौरव थे। तभी नकाबपोश बिजली की तेजी से चैंबर में दाखिल हुए। उन्हें आते हुए किसी ने नहीं देखा। नजर ही तब आए, मनोज के बेहद नजदीक पहुंच गए। हमलावर दबे पांव आए थे।
चश्मदीद मुनेश त्यागी का कहना है कि उनके नकाब देखकर कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही एक ने मनोज की कनपटी पर सटाकर गोली मार दी। फायर की आवाज भी बहुत ज्यादा नहीं हुई लेकिन मनोज के सिर से खून का फव्वारा छूट पड़ा। वह मनोज को देख ही रहे थे कि हमलावर आंखों के सामने से ओझल हो गए।